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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रटाळौ २ कचरा, कूड़ा | (डी) वि० (स्त्री०टी) १ अपाहिज अटूट वि० [सं० त्रुट] १ न टूटने वाला २ निरन्तर । ३ हढ़, मजबूत । ४ अपार, ५ श्रजेय । www.kobatirth.org ( ३४ ) अटाळी पु० [सं० प्रट्टाल ] १ बेकार वस्तुओं का ढेर ठमासियो अठमासी पु० १ धाठ मासे का खोल । २ गर्म वि० आठ महीने का । के आठवें मास से उत्पन्न शिशु । अठयासियो देखो'वासियों'। श्रठयासी देखो 'इठियासी' श्रठळारणौ (बौ), अठळावणौ (बौ) - क्रि० १ इटलाना, इतराना । २ नखरे करना, चोंचले करना । ३ गर्व करना । ४ मदोन्मत्त होना । अठवाड़ौ-पु० १ प्राठ दिन का समय या अवधि । २ प्राठवां दिन । अठवाळी - स्त्री० [सं० प्रष्ट + आलुच] ग्राठ कहारों द्वारा उठाई जाने वाली डोली । -- अठसठ (डि) - देखो 'स' - घटे (ट) देखो'' | , अटेर - वि० ० १ न मुड़ने वाला । २ विजयी । चरस प्रटेरणीपु० मूत की बड़ी बनाने का उपकरण । अटेरी, (बौ)- कि० १ सूत को लपेटना, लच्छी बनाना । २ अधिक भोजन या नशा करना । अट्ट - देखो 'अटारी' । अट्टहास (स्य ) - पु० [सं० श्रट्टहास:, श्रट्टहास्यम् ] अत्यधिक जोर से हंसने की क्रिया, भाव या शब्द, ठहाका । श्रट्टी-स्त्री० १ सूत की लच्छी । २ आधी दमड़ी । ३ देखो 'प्राटी' । ४ देखो 'अठी' । बड़ी-पु० [सं० ग्रहम्] १ मचान ३] देखो 'बट्टी' । बहू देखी 'घाट' २ पंगु । बंद अनंत । श्रद्धांनी वि० प्रठांगु के स्थान वाला । श्रद्वांग - वि० नब्बे और आठ के योग के बराबर । पु० नब्बे और आठ के योग की संख्या ६८ । ठतीस (त्रीस) देखो 'अड़तीस' । अठत्तर - देखो 'इयंतर' | घटत्तरमौ देखी 'इतरम' 1 २ अदल-बदल । श्रठांग - देखो 'अट्ठांगू' । air- देखो 'ग्रांक' । ग्रहोत्तर श्रोत्तरसउ श्रट्टोत्तरसौ पु० [सं० ग्रष्ट-उत्तर- शत] एक सौ ग्राठ की संख्या । अठतर देखो 'इट' । अ ंतरौ देखो 'इठतरी' | ठ - देखो 'आठ' | ठप - वि० [देशज ] १ चंचल । २ न रुकने वाला । ३ दृढ़ | ठकळ देखो 'ग्रटकल' । केल (ली), सेल (ली) देखो 'सेल' । प्रठड़ोतर - पु० एक सौ ग्राठ की संख्या । घटताळी- पु० १ डिंगल का एक गीत या छन्द । २ देखो 'तो' । अट्ठांक - वि० अट्ठानवे के लगभग । अट्ठाइस अट्ठाईस - वि० [सं० अष्टविंशति ] बीस और ग्राठ के श्रठाण - देखो 'ग्रांगू' । बराबर । बीस और प्राठ के योग की संख्या, २८ । अट्ठाइसौ पु० अट्ठाइसवां वर्ष । वि० [सं० टन्टल] घाट पार्श्व या कोने वाला - पु० १ अठपहला । २ भ्रष्ट भुजा । अठस्रवण- पु० [सं०] अष्ट श्रवण ] ब्रह्मा । वि० आठ कानों वाला । वो देखो 'मी' ठरणी - वि० [सं० प्रष्ठणु ] १ दृढ़, मजबूत, अडिग । २ आठ । ३ बलवान, शक्तिशाली । ४ अधिक, बहुत 1 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ठांस वि० १ दृढ़, मजबूत । २ गंभीर । ३ वीर । ठाइ, अठाई - स्त्री० व्रत अष्ट दिवसीय २ देखो 'प्राइस' | मठाइदेवो बाइसी ठाउँ ठाऊं कि० वि० यहां से, इधर मे । अठो योग की संख्या, १८ । अठारौ - पु० ग्रठारह का वर्ष । ग्रठालग - क्रि०वि० यहां तक अठार (रे) - वि० [सं० ग्रष्टादश ] दस और ग्राट के बराबर । --पु० १ दस और ग्राठ की संख्या २ पुराणों की संख्यासूचक शब्द | ३ चौसर का एक दाव । अठारटंकी देखो 'प्रहारकी' । ग्रठारभार-पु० अष्टादश भार वनस्पति । अठारह - वि० दस व आठ के बराबर । - पु० दस व ग्राठ के - 1 (जैन) अठावन - वि० पचास व आठ पु० अट्ठावन की संख्या, ५८ । अठावनौ- पु० अठावन का वर्ष । पठायोस देखो 'बाइस' अठासी देखो 'इठियासी' । पठि (ठी) क्रि०वि० [सं०] १२ For Private And Personal Use Only वि० [सं० ग्रष्ट ] १ ग्राठ । २ देखो 'ग्राठी' । श्रठिकांणी - (नी) - क्रि० वि० इधर, इधर से, इधर की ओर । अहिना (ऊं) शि०वि० यहां से इधर से अठी-क्रि०वि० ० इधर, यहाँ ।
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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