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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चौपडो चौरिद्रय चोपडी-पु.१ पचांग-पत्र । २ कुकुम पत्रिका । ३ पूजा के लिये | चौमास-पु. चातुरमास, वर्षा ऋतु । कुकुम-चावल रखने का पात्र । ४ वंशावली लिखने की| चौमासियो-पृ० वर्षा ऋतु संबंधी। बही। ५ बही। ६ चार परतों वाला पदार्थ । चौमासी-स्त्री० वर्षा ऋतु संम्बन्धी एक लोकगीत । चोपट-वि० १ खुला । २ चारों ओर से वला । ३ नाश, ध्वस । | चौमासी-पु० [सं० चतुर्मास] १ वर्षा ऋतु, वर्षा काल । ४ देखो 'चौपड़' । २ बारिस का वातावरण । चौपथ-पु० [सं चतुष्पथ] चौराहा, चौरास्ता । चौमुडा-देखो 'चांमुडा'। चौपद (दी)-पु० [सं० चतुष्पद] चौपाया जानवर । चौमेळी-पु० दृष्टि मिलन, चार प्रांखें होना। चौपवार-देखो 'चोबदार'। चौमुख (मुखौ)-पु० १ ब्रह्मा । २ चार खानों का पात्र । चौपन-वि० पचास व चार ।-पु० पचास व चार का अंक, ५४ । चौरंग (गि, गी, गौ)-पु. १ तलवार का एक वार विशेष । चौपनियो-पृ० १ छोटी बही, रोजनामचा । २ चार पन्ने का । तलवार का हाथ । २ युद्ध, समर । ३ संसार का चौपनौ-पु० ५४ का वर्ष । प्रावागमन । ४ प्राणियों की चार योनियां । ५ मैदान, क्षेत्र । चौपाई-स्त्री० एक मांत्रिक छंद विशेष । ६ योद्धा, वीर । ७ चतुरंगिनी सेना। ८ सैना, फौज । ६ एक चौपायो-पु० [सं० चतुष्पद] चार पैरों वाला पशु । प्रकार का शस्त्र। १० हाथ-पांव काट डालने की क्रिया। चौफळी-पु०१ चारों पोर धारों वाला शस्त्र । २ चारों पांवों से ११ बलिदान में चार अंग बांध कर लाया गया मैसा । चौकड़ी भरने वाला पशु । १२ चार प्रकार की लक्ष्मी। १३ युद्ध स्थल । -वि. चौफाड़-देखो 'चोफाड़'। १ चार। २ चार अंगों वाला। ३ जिसके हाथ पैर काट चौफूली-स्त्री० १ एक प्रकार की परेख । २ आक के पुष्प के दिये हों। ४ चार रंगों वाला। ५ चार प्रकार का । अन्दर का भाग। चौरक (ग, गौ)-पु. श्वास पी कर मारने वाला सर्प । चौफेर-क्रि०वि० चारों ओर । चौरस-वि० [सं० चतुरस्र] १ चारों कोनों से समतल एवं चौफेरी-स्त्री०१चारों ओर की परिक्रमा । २ विवाह की प्रथम बराबर । २ वर्गाकार । -स्त्री० चौपड़ नामक खेल । रात्रि । (राजपूत) चौरसा-पु० एक वणिक छन्द विशेष । चौबंदी (बंधी)-स्त्री० १ छोटी व चुस्त अंगिया । २ घोड़ों के चौरसियौ-पु. प्रत्यन्त छोटा हथौड़ा। ___ चारों पावों में लगाई जाने वाली नालें। चौरसी-स्त्री० १ बढ़ई का एक प्रौजार। २ घंटियों की माला। चौबगळी-पु० कुरती, फुतही, अंगे आदि का एक भाग । चौरागि-पु. १ खुला मैदान । २ युद्ध । चौबळ-क्रि० वि० चारों ओर। चौरांरणवी-वि० तराणु के बाद वाला। चौबळवी-स्त्री० चार बैलों की गाड़ी। | चौरांणु (ए)-वि० नब्बे व चार । -पु. चोराणु की संख्या, चौबा-स्त्री० एक ब्राह्मण जाति । ६४। चौबाई-स्त्री० एक प्रकार की गांठ, ग्रंथि । चौरांणमा (वौं)-वि० चौराणु के स्थान वाला । -पु० चौराणु चौबायो-वि० चारों ओर का । का वर्ष । चौबार-वि० १ चार द्वार वाला । २ प्रगट, खुले प्राम। चौरा-पु० १ चौबारा । २ महल । ३ कक्ष । बोबारी-पु० १ चारों ओर से खुला कक्ष । २ बैठक का कक्ष। चौराई-देखो 'चौरासी'। ३ एक प्रकार की शराब । चौरायौ-पु० चौराहा, चौरास्ता । चोबिस, चौबीस-वि० बीस और चार । -पु० बीस और चार चौरासियो-पु० १ ८४ का वर्ष । २ बिना भूमि का राजपूत, की संख्या, २४ । चौबीसौ-पु० चौबीस का वर्ष । चौबोली-स्त्री. १ एक मांत्रिक छन्द विशेष । २ एक अन्य | चौरासी-वि० [सं० चतुरशीति] प्रस्मी और चार । -पु. १ चौरासी की संख्या, ८४ । २ चौरासी लाख जीव मांत्रिक छन्द । चौभंग-वि० निर्भय, निशंक । योनि । ३ पावों के घुघुरू विशेष । ४ पत्थर तोड़ने की छैणी। ५ योग के आसन । ६ काम शास्त्र के प्रासन । चौमट-वि० खुला प्रकट । ७ चौरासी गावों का समूह । ८ घुघरू की माला। चोभुजा-वि० चार भुजाओं वाला । -पु. श्री विष्णु । चौमक--स्त्री० हटड़ी। चौरासीबंध-पु० डिंगल का एक गीत । चौमाळ, चौमाळी, चौमाळीस-देखो 'चमाळीस' । चौद्रिय-पु. चार इन्द्रियों वाला जीव । (जैन) भमिहीन राजनीति] प्रस्मा सी लाख For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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