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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धोगड़ा ( ४१७ ) चोपड़ी चौगद, चौगड़वाई-क्रि०वि० चारों ओर । चौत्रीस-देखो 'चौतीस'। चौगो-वि० चार । चौष-स्त्री० [सं० चतुर्थी] १ चतुर्थी तिथि । २ विवाह के बाद चौगट-देखो 'चौखट'। का चौथा दिन । ३ चौथा भाग। ४ मराठों द्वारा लिया चौगड-वि० चार गुना। जाने वाला एक कर । ५ लुटेरों से रक्षा करने के लिये चगणी-वि० [सं० चतुर्गुण] चार गुणा । दिया जाने वाला कर। ६ प्राभूषण विशेष ।-पण, पणौबोगरणी (बी)-क्रि० देखना । पु० चौथापन, वृद्धावस्था । -मक्त-पु० उपवाम । (जैन) चौगरव-देखो 'चौगड़द'। चौथड़ी-स्त्री० छोटा चबूतरा । पौगस-देखो 'चौकस'। चौथडौं-पु० बड़ा चबूतरा । चौगान-पु० [फा०] १ खुला व विस्तृत मैदान । २ खुला प्रांगन । | चौथाई-स्त्री० चौथा भाग । चौगांनियो-वि० चार तहों या परतों का । -पु० दशहरे के दिन चौथालो- देखो चौतालो' । काटा जाने वाला मस्त भैसा । चौथियौ-पु०१ हर चौथे रोज पाने वाला ज्वर । २ चौथे भाग चौगिरद, चौगुडवा-देखो 'चौगड़द' । का हकदार। ३ 'चौथ' वसूल करने वाला व्यक्ति । चौगुणो-वि० (स्त्री० चौगुणी) चार गुणा । चौथीपछेवड़ी-स्त्री० वृद्धावस्था । चौगौ-पु०१ चार दात वाला छोटा बैल या भैसा । २ चोगा, चौथी-वि० [सं० चतुर्थ] (स्त्री० चौथी) तीन के बाद वाला, चोला । ३ चार का अंक । ४ चार का वर्ष । चौथा, चतुर्थ। -ग्रासरम-पु० संन्यास प्राश्रम । चौगोनी-स्त्री० १ छड़ी, बेंत। २ गेंद का बल्ला । वृद्धावस्था। चौवंत (तो)-वि० १ प्रसिद्ध, ख्याति प्राप्त । २ प्रतिष्ठित । चौघड़ियो चौघडो-पु० १ लगभग चार घड़ी का समय, समय ३ चार दांत वाला। का एक विभाग । २ उक्त समय के अन्त में बजने वाला चौद-देखो 'चवदै'। घंटा । ३ मुहूर्त विशेष । चौड़-पु० नाश, ध्वंस । चौबस (सि, स्स)-स्त्री० चतुर्दशी की तिथि । चौड़ाई-स्त्री० चौड़ापन, मोटाई । अर्ज। चौधर-स्त्री० चौधगहट, चौधराई। चौड़-क्रि० वि० खुले में, प्रत्यक्ष में, प्रगट रूप में । -धाई चौधरण-स्त्री० चौधरी को स्त्री। क्रि० वि० खुले प्राम, दिन दहाड़े। चौधराई (रात)-स्त्री० १ चौधरी का पद ब कार्य । २ इस पद चौड़ोतरसौ-पु० एक सौ चार की संख्या । का या कार्य का वेतन । चौड़ी-वि० (स्त्री० चौड़ी) १ विस्तृत, फैला हुआ। २ लम्बाई चौधरी-पु० [सं० चतुर्धरी] १ जागीरदार के पास गांव का से भिन्न दिशा में फैला हुआ। प्रतिनिधित्व करने वाला व्यक्ति । २ राज्य का बड़ा सामन्त चौज- देखो 'चोज। जिसकी स्वीकृति हर महत्वपूर्ण कार्य में जरूरी होती थी। चौजुगी-स्त्री० चार युगों का समूह । (स्त्री० चौधरण) ३ जाट, सीरवी, पटेल आदि । चौडोळ-पु० १ हाथी । २ पालकी । | चौधरी-पु. चार दरवाजा का कमरा या कक्ष । चौतरफ-क्रि० वि० चारों ओर । चौधार, चौधारण, चौधारी-पु. १ चार धारों वाला भाला। चौतरी-देखो 'चौथड़ी' । २ एक प्रकार का बाण । -धारी-वि० भाला रखने वाला। चौतरो- देखो 'चबूतरौ'। चौनिजर, चौनिजरे, चौनीजर-क्रि० वि० १ प्रामने-सामने । चौतारी-पु० चार तारों का एक वाद्य । एक प्रकार का कपड़ा। २ सम्मुख, समक्ष । चौताळी-पु० किसी क्षेत्र के गांवों का समूह । चौतीणी-पु० चार मोट या चार रहंट एक साथ चलने लायक चौपइया. चौपई-स्त्री० एक मांत्रिक छंद विशेष । बड़ा कृपा। चौपग (गौ, ग्गो)-पु० चार पैर वाला पशु।। चौतीस-वि० [सं० चतुस्त्रिशत] तीस व चार । -पु. तीम व चौपड़-पु० [सं चतुष्पट] १ चौसर से खेलने का चार पट्टियों का चार की संख्या, ३४ । खेल । २ चौमर के खाने के अनुसार पलंग की बनावट । चौतीसौ-पु० चौतीस का वर्ष । ३ चौराह । ४ देखो 'चोपड़' । चौतुको-वि० चार तुकों वाला। चौपड़ी-स्त्री० १ छोटी बही। २ छोटो पंजिका। ३ कोपी। चौत्रप-देखो 'चोतरफ'। ४ छोटी पुस्तक । ५ चौपड़ । ६ चार परतों वाली वस्तु । For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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