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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir किरि । २३४ ) किलिविख किरिश, ()-देखो 'किरट'। किळकटारी-स्त्री० गिलहरी । किरिण-देखो 'किरण' । किलकरणी (बी)-क्रि० खिलखिला कर हंसना । २ किलकारी किरित्यां-देखो 'कतिका'। मारना । ३ कलरव करना। ४ कोलाहल करना । ५ कल्लोल किरियांणी-पु० पौष्टिक पदार्थों का बना पाक, अवलेह | या क्रीड़ा करना । ६ पक्षियों (चीलादि) का बोलना। या लड़। किलकार, (री, रौ)-स्त्री० १ खिल-खिलाहट । २ जोर की किरिया-देखो 'क्रिया'। -करम='क्रियाकरम'। हर्षध्वनि । ३ चीख, चिल्लाहट । ४ पुकार या किरियावर-देखो 'क्यावर। तीखी आवाज। किरियावरी-देखो 'क्यावरी' । किलकिचित-पु० संयोग श्रृगार के ११ हावों में से एक । किरियावरौ-देखो 'क्यावरौं' । किलकिल-देखो 'खिलखिल'। किरिराज-पु० [सं० करीराज] १ बड़ा हाथी । २ अंजन किलकिलणौ (बी)-क्रि० खिलखिलाना, हर्ष ध्वनि करना। नामक दिग्गज । किलकिला (ली)-स्त्री० [सं० किलकिला] १ हर्ष ध्वनि, किरी-स्त्री० काष्ठ का भीतरी ठोस भाग। किलकारी । २ एक प्रकार की बड़ी तोप । ३ समुद्र किरीट-पृ० [सं० किरीट:] मुकुट, ताज । का वह भाग जहां लहरें भयंकर शब्द करती हैं । किरीटो-वि० [सं० किरिटिन्] मुकुट धारी। -पु. १ इन्द्र ।। ४ मछलियों पर झपट्टा मारने वाली चिड़िया । ५ गुदगुदी। २ अर्जुन। ३ राजा । ४ मुर्गा। मुकूट । ६ २४ वर्णों। किलकिलाट (हट)-स्त्री० किलकिलकी ध्वनि, खिलखिलाहट । का एक छंद । किलकी-पु. १ एक प्रकार का बाण । २ देखो “किलक' । किरुण-देखो 'करुण। ३ देखो 'कलकी'। किरू-पु०१ हिन्दुवारणी या इन्द्रायण के फलों का देर किलक्क-देखो 'किलक'। २छाजन के महारे के लिए लगाई जाने वाली लकड़ी। किलक्करणी (बौ)-देखो 'किलकरणी' (बी)। किरे (र)-प्रव्य० मानो, जैसे।। किळचू-पु. एक प्रकार का पक्षी। किरोई-स्त्री०१ संधि स्थान की नर्म हडो। २ वक्षस्थल के मध्य | किलणा (बा)-दखा 'कालगा (बा) । की हड्डी जो पसलियों को जोड़ती है। किलब (बांइण) किलम, किलमांण, किलमायण, किलमी, किरोड़-देखो 'करोड़। किलमीर, किलम्म-पु० [अ० कलमः] १ मुसलमानों का किरोड़ी-पु०१ राज्य के लिए माल गुजारी उगाहने वाला धार्मिक मूल मन्त्र, कलमा । २ उक्त मन्त्र का पाठ करने कर्मचारी। -वि० १ करोड़, कोटि । २ देखो 'करोड़ी'। वाला मुसलमान । ३ मुसलमान । -नाथ, पत, पति, राई, रा -पु० बादशाह । किरोध-देखो 'क्रोध'। किललोळ-स्त्री० केलि, कोड़ा, कल्लोल । किरोळी-स्त्री० रहट की माल में लगने वाली लकड़ी की किलवांक-पु. काबुल देशोत्पन्न एक घोड़ा। छोटी कील । किलवारण (रणी)-वि० मुसलमान संबंधी । किरो-पु० अंगारेयुक्त राख का हर । किलविख (स)-पु० [सं० किल्विष] पाप, कल्मा । किलका-देखो 'किलक' । किलांग-देखो 'कल्याण' । फिलंग-पु० [सं० कल्कि १ विष्णु का १० वा कल्कि अवतार । किलांणी-स्त्री० [सं० कल्यागी] १ पार्वती। २ दुर्गा, देवी। २ कलिंग का निवासी। किलाजात-पु० किले या दुर्गों के प्रबंध संबंधी एक विभाग। किलंगी-देखो 'कलगी'। (जयपुर) किलगो-पु. एक प्रकार का पुष्प । किलादार-पु० किले का अधिकारी। किलब (बि, व, वि)-पु० [अ० कल्मः] यवन, मुसलमान । किलाबंदी-स्त्री०१ दुर्ग का निर्धारण । २ व्यूह र बना। ३ सुरक्षा ----- राइ, राय-पु० बादशाह । ४ शतरंज में बादशाह की सुरक्षा । किळ, किल-प्रव्य[सं०किल] १ निस्सन्देह, निश्चय ही. जरूर। किलावो-पु०१ स्वर्णकारों का एक प्रौजार । २ हाथी के गले २ उसी प्रकार वैसे. ही। में बंधा रहने वाला रस्सा। किलक, (का)-स्त्री०१ हर्षध्वनि, खिलखिलाहट । २ किलकारी । किलि-अव्य० निश्चय ही। ३ कलरव । ४ कोलाहल । ५ कल्लोल, क्रीड़ा। किलिविख-देखो 'किलविख' । For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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