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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org किमिया ( २३२ ) किरची किनिया-देखो 'कन्या' । -वळ-देखो 'कन्यावळ' । किरंड-देखो 'करंड'। किन-सर्व० किसे, किमको । -क्रि० वि० किस तरफ । पास, | किरडी-पु० सर्प, सांप । निकट। किर-प्रव्य. मानो । -पु० १ निश्चय । [सं० किरि] २ सूअर, किन्न-देखो 'क्रसरण'। वराह । ३ किरण । ४ पृथ्वी। किन्नर--पू० [सं० किन्नर] (स्त्री० किन्नरी) १ संगीत विद्या में किरइ-स्त्री० रहट की माल या रस्से को जोड़ने के काम आने कुशल एक प्रश्वानर देव जाति। २ इस जाति का वाली लकड़ी।। देवता । ३ गाने बजाने वाली एक जाति ।। किरक-१ दर्द । २ अस्थियों की पीड । ३ देखो 'करक' । किन्नरी-स्त्री० १ सारंगी । २ एक प्रकार की छोटी तंबूरी। किरकटौ-पु० गिरगिट । २ किन्नर जाति की स्त्री। किरकर-देखो 'किरकिर'। किन्नरेस-पु० [सं० किन्नरेश धनपति, कुबेर । किरकोट (8)-१ देखो 'करकांट'। २ देखो 'कुरकांट'। किन्ना-१ देखो किना' । २ देखो 'कन्या'। किरकांट, (कांटियो, कांट्यो, कांठियो, कांठी)-पु०१ गिरगिट । किन्नी-म्बी० पतंग के मध्य का डोरा जिस पर मंझा बांधा | २ एक देशी खेल (शेखावाटी)। जाता है। किरकिर, (री)-स्त्री० [सं०क कर] १ पिसे हुए आटे या चूर्ण के किन्या-देखो 'कन्या' -बळ, वळ='कन्यावळ' । --रास, रासि, अन्दर रह जाने वाले धूलि कण । २ बारीक धूलि कण । (सी)='कन्यारासि'। ३ निदाजनक यां हास्यास्पद अवस्था । ४ हंसी। किप-देखो 'कपि'। | किरकिरी खांनौ-पु० [१० किरकिराकखांनः] १ऊन । २ ऊनी किपरण-देखो 'क्रपण' । वस्त्र । ३ बादशाह या राजा के सब प्रकार के बिना सिले किफायत-स्त्री. १ काफी ३. अमित होने का भाव । २ कम | कपड़ों का संग्रह स्थान । ४ इस प्रकार के कपड़ों संबंधी खर्च । ३ थोड़े में काम चलने की स्थिति । ४ बचत । विभाग। किफायती-वि० कम खर्च करने वाला, मितव्ययी। किरकिरी-वि० [सं० कर्कर] (स्त्री० किरकिरी) १ कंकर या किबला-स्त्री० [अ०] १ पश्चिम दिशा । २ मक्का नामक धूलिकणों से युक्त । २ कंकरीला । ३ बेस्वाद । -पु० मोटे पवित्र स्थान । लोहे में छेद करने का एक औजार । किपि-वि० कुछ, कुछ भी। किरकोळ-पु० परचून या फुटकर सामान । किम-सर्व० [सं० किम्] क्या । -क्रि०वि० कैसे। किरको-पु० १ टुकड़ा, खण्ड, दाना । २ शक्ति, बल । ३ साहम । किमए-क्रि०वि० महान कष्ट से । किरकोड़-स्त्री० कंकाल, अस्थिपंजर । किमकरि, किमत्र-क्रि०वि० कैसे । किरखी-स्त्री० [सं० कृषि] खेती, कृषि । किमाड़, किम्माड़-देखो 'कपाट' । किरग-पु० [सं० करटी] हाथी। किमाढ़ी-देखो 'विवाड़ी'। किरगांठियौ-देखो 'किरकांटियौ' । किमि-वि० कम । २ देखो 'किम' । किरडणी (बौ)-क्रि० १ किमी ठोस वस्तु को दांतों से चबाना। किम्हइ-क्रि०वि० कैसे। २ क्रोध या निद्रावस्था में दांत पीसना। ३ दांत पीसने से कियंकर-देखो "किकर'। ध्वनि उत्पन्न होना। कियां, किया-क्रि०वि०१ कैसे । २ क्यों, क्योंकर । ३ किधर । किरडा-स्त्री० [सं० क्रीड़ा] क्रीडा, खेल, पामोद-प्रमोद । कियारथ-देखो 'ऋतारथ'। किरड़ियो-देखो 'किरडो' । कियारी (रो)-स्त्री॰ [सं० केदार] क्यारी, केदार । किरड़ी-पु. १ गिरगिट । २ हाथी । कियावर--देखो 'क्यावर'। | किरड़-स्त्री० १ रहट का रस्मा जोड़ने की काष्ट की कील । कियावरी (रौ)-देखो 'क्यावरि'। (रौ) २ अनाज को भिगोने या पकाने पर भी सूखा या सख्त रह कियाह-पु. लाल रंग का घोड़ा। -क्रि०वि० कहां। जाने वाला दाना। किये, किय-क्रि०वि० कहां। किरड़ी-पु० गिरगिट। कियो-पु. १ कहने का कार्य । २ आदेश । -सर्व० कौनसा । | किरच-स्त्री०१एक प्रकार की सीधी तलवार । २ टुकड़ा या खण्ड । । किरंटी-पु० [सं० किरीटी] १ इन्द्र । २ अर्जुन । -वि०किरची-स्त्री० १ रेशम की लच्छी । २ कोई लंबूतरा टुकडा, --वि• मुकुटधारी। खण्ड । ३ टुकड़ा, खण्ड । For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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