SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 175
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एकबाल एकाधपत एकबाल-पु० [अ० इकबाल] १ प्रताप, ऐश्वर्य । २ सौभाग्य । एकहत्यी (थी)-देखो 'इकहत्थी'। ३ इकबाल स्वीकार । एकांग, (गो)-वि० [सं०] १ एक अंग का। एक पक्ष का । एकबीज (जौ)-पु० फल में एक ही बीज वाला वृक्ष । २ एक ओर का । ३ हठी। एकम--स्त्री० प्रत्येक मास की प्रतिपदा तिथि । एकारण (रिण)-वि० एक। एकमेक-वि० १ बराबर, समान, तुल्य । २ एकाकार । ३ रूप, एकारणव (वै), एकारणवी-पु० इकवानवां वर्ष । इकावन । ___ गुण,वर्ण की दृष्टि से भिन्न न हो। ४ अभिन्न, घुले-मिले। एकारणौ-देखो 'एकासणी' । एकर, एकरां (रा, रयौ)-क्रि० वि० एक बार । एकांत (ति, ती)-वि० निर्जन, शून्य । सूना। पृथक, अलग । एकरखौ-वि०१निरन्तर एक ही स्वभाव या प्रकृति में रहने वाला -पू० शून्य-स्थान । २ सदा एक ही रूप या अवस्था में रहने वाला। एकांतरकोण-पु० एक तरफ का कोण । एकरसी (सु. सू)-कि० वि० एक बार, एक दफा । लगातार । एकातरौ-पु० [सं० एक-अन्तर] १ एक दिन छोड़ कर पाने एकरार-देखो 'इकरार'। वाला दिन । २ एक दिन छोड़कर पाने वाला ज्वर । ३ एक ऐकरिये, एकरू-क्रि० वि० एक बार, एक दफा । के अन्तर से चलने वाला क्रम । एकल (उ)-पु० अकेला रहने वाला सूपर, बड़ा सूपर। -वि० एकांती-पु० अनन्य भक्त। १ अकेला, एकाकी । २ अद्वितीय वीर । एकांयंत, एकांयत-देखो 'एकांत' । एकलखोरौ-वि० (स्त्री० एकलखोरी) १ एकान्तवासी । २ सदा एका-स्त्री० दुर्गा । वि० एक । अकेला रहने वाला। २ स्वार्थी, ईर्ष्यालु । एकाई-देखो 'इकाई'। एकलगिड़-पु० सूपर वराह । २ देखो 'एकल' । एकाउळि (लि)-देखो 'एकावळहार'। एकलड़ी-वि० (स्त्री० एकलड़ी) १ अकेला। २ एक लटिका एकाएक (की)-क्रि० वि० अचानक, अकस्मात । -वि० या पटवाला। इकलौता। एकलबरणी-पु० डिंगल का एक गीत विशेष । एकाकार-पु० [सं०] १ रूप, गुण, प्राकार की दृष्टि से अभिन्नता एकलमल (ल्ल)-पु० परब्रह्म, विष्णु । -वि० १ अकेला। की अवस्था या भाव । -वि० एक रूप । समान, तुल्य । २ अद्वितीय वीर। एकाकी-वि० अकेला। एकलवाई-स्त्री० लुहार, मोची बढ़ई आदि का प्रौजार विशेष । एकाक्ष-वि० काना। -पु० कोना।२ शुक्राचार्य । एकलवाड़-पु० बड़ा व शक्तिशाली सूपर । एकाक्षरी-वि० एक अक्षर का । -पु० १ एक अक्षर का मंत्र, एकलव्यु-द्रोणाचार्य के शिष्य एक भील का नाम । ओंकार । २ एकाक्षरी छन्द । एकलापी,(ला)-वि० (स्त्री० एकलापी) १अकेला । २ असहाय । एकागर-देखो 'एकाग्र' । -पु. १ अकेला कार्यकर्ता । २ अकेलापन । एकागार (गारक, गारी)-वि० [सं० एकागारिक] १ दुष्ट, एकलिंग-पु० शिव का एक रूप । नीच, पतित । २ चोर । एकलि (ली)-वि० एक। एकाग्र-वि० [सं०] १ अचंचल, स्थिर । २ ध्यानावस्थित । एकलियौ-वि० १ अकेला । २ एक से संबंधित । -पु. एक बैल ३ एकाग्रचित्त । -चित्त-वि० चित्त या वृत्ति को एक जगह केन्द्रित किए हए । ध्यानावस्थित।--ता-स्त्री० चित्त का हल । की स्थिरता। स्थिरता । मनोयोग । एकलीम-देखो 'अकलीम'। एकातपत्र-वि० एक छत्र । सार्वभौम । चक्रवर्ती । एकलोतो-देखो ‘इकलोतो'। एकात्मा-स्त्री० एकता, अभिन्नता, एक रूपता । आत्मिक एकलौ-वि० (स्त्री० एकली) अकेला, एकाकी । एकता। एकल्लपल्ल-देखो 'एकलमल' । एकादस-वि० [सं० एकादश] दश और एक, ग्यारह । -पु० एकल्लौ-देखो 'एकलौ'। ___ ग्यारह की संख्या, ११ । -रुद्र-पु. हनुमान । रुद्रगण । एकवीस-देखो 'इक्कीस'। एकादसी-स्त्री० [सं० एकादशी] चन्द्रमास के प्रत्येक पक्ष की ग्यारहवीं तिथि, ग्यारस । एकसांस, एकसांसियौ-देखो 'इकमांसियो' । एकाधपत, एकाधपति, एकाधपत्त, एकाधपत्ति, एकाधिपत्य-पु. एकसाखियौ-देखो ‘इकसाखियाँ' । [सं० एका धिपत्य] १ पूर्ण प्रभुत्व की अवस्था, एकाधिकार । एकसौ-वि० (स्त्री० एकमी) एक जैसा, समान, तुल्य । २ महान योद्धा । ३ चक्रवर्ती सम्राट । For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy