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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ऊरमि ऊरमि, (मी) ऊरम्म स्त्री० [सं० ऊर्मी ] २ कपड़े की सलवट । ३ पीड़ा, कष्ट । १ ४ छै की लहर, -माळ माळा, माळी, म्माळ- पु० समुद्र सागर । लेणी (बी) देखो 'उनी' (बी) उभोउदेगी। www.kobatirth.org ऊरबड़ व्बड़ देखो 'उरब्बड़' । वाणी-देखो 'उदास' (पी० करो | ऊरि-देखो 'उर' | ऊरिण- देखो 'उरण' । ऊरु (रू) -स्त्री० [सं०] जांघ, जंघा । -ज-वि० जांघ से उत्पन्न | - पु० वैश्य जाति । बल । -त्र-स्त्री० रान । रान का कवन । १२ नजदीक वाला । ( १६४ ) तरंग | संख्या । अरेड़ी, डी०बाने की क्रिया ऊळ - पु० नेत्रों में होने वाला वात नाड़ी शूल । ऊल स्त्री० १चमड़े की मिली २ जिल्लाका मेल ऊलकणौ (बौ)- क्रि० कुदाना, छलांग भराना | ऊळखणी (बौ) -- देखो 'ग्रोळखणौ' (बौ) । अलग- देखो 'अलग' अलजी (बी) 1 क्षणी (बी) देखो' (बो ऊलजाणौ (बौ) ऊलझाणौ (बौ) - देखो 'अभागी' ( बौ) । ऊलजलूल वि० अंट-संट असंबद्ध । नासमझ, असभ्य । ऊलट-पु० उमंग, जोश, उत्साह, आवेग | ऊटी (बी) देखो 'उनी' (बी) | ऊलोच - पु० चंदोवा | 'ऊल्क देखा 'उल्का' | उनको बो देगो ऊबकर (बी) ऊवट देखो 'ऊबट' । rait (at) - देखो 'उबटरणी' (बी) | ऊबट्ट -देखो 'ऊबट' | ऊलफैल - पु० १ उत्पात, उपद्रव । २ नखरा । ३ अनावश्यक खर्च । ऊरण (ब) देखो 'बोर' (ब) । अळी (बौ लौ (यो) - देखो 'उतळणी' (बी) अल्सर (बी), अलहणी (बी) देखो 'उल्लस (बी) कला - वि० १ निकट पास, नजदीक । २ विपरीत, उल्टा । - क्रि० वि० इधर । (बी) लाळिणी, (ब) देखो 'उगाळणी' (बौ ऊली क्रि० वि० इस ओर - वि० इस ओर की, इधर की नजदीक वाली । सर्व० इस । कलेरन - पु० गर्व, दर्प । । ऊलोड़ी, ऊलौ वि० (स्वी० मोड़ी उनी १ बाला - पैलौ - वि० ० इधर-उधर का । वणी (बी) देखो 'उमड़ी' (बौ ऊवरणौ (बौ) - देखो 'ऊबरणों' (बी) | ऊवर, ऊवरि - देखो 'ऊर' । ऊवळणी (बौ) - १ बचना शेष रहना । २ देखो 'उबळणी' (त्री) । ऊवस्स - वि० [सं० उद्वस ] निर्जन, जनशून्य । (ब) ० १ ऊंचा होना। २ वचना | ऊर्जा, ऊवा - सर्व० वे, उन्होंने । क्रि० वि० वहां । ऊवाड़ौ - १ देखो 'उवाड़ी' । २ देखो 'प्रवाड़ी' । ऊवारणी (बी) देखो 'वार' (बी)। ऊवाळ- १ देखो 'ऊहाळ' । २ देखो 'घोळ' | वेग (यौ) फि० उपेक्षा करना । बेली (ब) देखो 'उ' बो वेळी ० (स्त्री० [वेळी मुक्त उऋण ऊर्व प० । ऊat - सर्व वह उस 1 o - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऊहाँ ऊस- पु० १ मादा पशु का ऐन । २ क्षार । ३ ऋषभ । ऊसन वि० [सं० अपरान] उत्सुक खिन्न वन्न । ऊसमक- पु० [सं० उष्मक ] १ गरमी, 1 तप्त, तपन २ ग्रीष्म ऋतु । ऊसर - पु० १ अनउपजाऊ भूमि । २ असुर - वि० कटु, कड़वा । ऊसरणी (बी) देखो 'उतरणी' (बी) ऊसा - देखो 'उसा' । ऊसारणी (बी) देवो'सार' (ब)। ऊसारी- पु० बरामदा । उत्तरोष देखी 'धनुर' । ऊसस - पु० १ जोश, आवेग । ऊससमो (बौ०ि [सं० उत्सति] १ जोश में धाना २ उठना । ३ जोश में शरीर का फूलना, फैलना बढ़ना । ४ बढ़ना । ५ उमंग युक्त होना । ६ जोश में आना । ७ तेज गति से श्वास लेना । I For Private And Personal Use Only ऊसासणी (बी) क्रि० बांध का किनारे फोड़ कर निकलना । तेजी से श्वास लेना । ऊसीसी देखो 'प्रोसीसी ऊह पु० तर्क | विचार | सर्व० वह । ऊहरण देखी 'एरगा'। ऊहविणौ (at) - क्रि० विचार करना । तर्क-वितर्क करना । ऊहा- अव्य०ग्रोह, ग्रह (ध्वनि) । पु० १ अनुमान । २ विचार । ३ तर्क, दलील ४ किवदंती । उहाड़ी देखो 'वाड़ी। कहाळ - पु० [सं० उहावलि ] जल के साथ बहने वाला कूड़ा । ऊहौ क्रि० वि० उस तरफ । सर्व० वहीं ।
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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