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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऊबाड़ी ऊरबी ऊबाड़ौ-पु० कुवचन, अपशब्द । -वि० १ अपशब्द कहने वाला। ऊमण-वि० १ उत्सुक, व्याकुल । २ उदासीन, चिंतित । २ विरुद्ध, विपरीत । ३ खिन्न । -दूमणी (णौ)-वि० खिन्न, उदास । ऊबारणौ (बौ)-देखो 'ऊभारणी' (बो)। ऊमतौ-देखो 'उनमत्त'। ऊबारणौ (बौ)-देखो उबारणौ' (बौ) । ऊमदा-देखो 'उमदा'। ऊबारौ-देखो 'उदारौ'। ऊमर-१ देखो 'उमर'। २ देखो 'अमीर' । ऊबास (सी, सौ)-देखो उबासी' । ऊमरड़-वि० १ जोश पुर्ण । बलवान, शक्तिशाली । २ विरुद्ध । ऊबाहणौ-१ देखो 'उबांणो' । -पण, पणौ-पु० जोश । बल । आतंक। ऊबियोबगार-पु० बिना छौंक का साग । ऊमरदराज-वि० दीर्घायु । ऊबीठ-वि. निविड़, गाढ़ा, घना । ऊमरी-पु०१ हल की लकीर, सीता । २ देखो 'अमराव' । ऊबेड़खंभ-वि० बलवान, शक्तिशाली। ऊमस-देखो 'उमस'। ऊबेडणी (बौ)-देखो 'उखेड़णी' (बी) । ऊमहणौ (बौ)-क्रि० १ उमंगित होना, उत्साहित होना । ऊबेड़ो-वि०१दाहिनी ओर से आने वाला (भेडिया)। २ दाहिनी २ उमड़ना। ३ उठना, उभरना । ४ उत्साह युक्त होना, ___ अोर से बोलने वाला (तीतर)। ३ विरुद्ध, विमुख । उमंग युक्त होना। ऊबेछाज-पु० [सं० उच्छुर्पण] अनाज साफ करने की एक क्रिया। ऊमारणी (बी)-देखो 'उमाहो ' (बौ) । ऊबेल-स्त्री० १ सहायता, मदद । २ रक्षा । ३ शरण । -वि० ऊमाह, ऊमाहौ-देखो 'उमाव' । रक्षक । सहायक। ऊमिया-देखो 'उमा'। ऊबेलणौ (बी)-देखो 'उबेलणौ' (बौ) । ऊमी-देखो 'उम्मी'। ऊबेलू-वि० सहायक, रक्षक। ऊमीणो-देखो 'उमीणो' (स्त्री० ऊमीणी) । ऊबेलौ-देखो 'उबेल'। ऊयइ-सर्व० उस, वह । ऊबोड़ो-देखो 'ऊभोड़ी' (स्त्री० ऊबोड़ी) । ऊरंग-देखो 'उर' । देखो 'उरग' । ऊव्हाणौ-देखो 'उबांग्गी' (स्त्री० उन्हांणी) । ऊरंगी-वि० खिन्नचित्त, उदास । ऊभ-स्त्री० १ खड़े होने की क्रिया या भाव । २ देखो 'ऊब'। ऊरड़ (ड)-देखो 'उरड़। ऊभणौ (बो)-क्रि० १ खड़ा होना । २ ठहरना । ऊर-वि० [सं०ऊर] प्रौर । अपर । स्त्री०जंघा, जांघ । देखो'उर'। ऊभति-पु० [सं० उद्भक्ति खराब भात । ऊरज-वि० [सं० ऊर्ज] बलवान । जबरदस्त । ऊभरणी (बौ)-क्रि० १ धारण करना । उठाए हुए रखना। ऊरजस-देखो 'उरजस। २ उठाना । : शोभा देना। ऊरण-पु० [सं० ऊरणः] १ मैढ़ा, मेष । २ देखो 'उरण' ऊभरांणी-देखो 'उबाणौ' । (स्त्री० ऊभरांणी)। देखो 'उरिण'। -नाम-स्त्री० मकड़ी। ऊभसूक-पु० खड़ा हुआ सूखा वृक्ष । ऊरणा-स्त्री० [सं० ऊर्णा] १ ऊन । २ चित्ररथ-गंधर्व ऊभारणौ (बौ)-क्रि० १ खड़ा करना । २ ठहराना । की स्त्री। ऊभापगां, ऊमीताळ-क्रि० वि० अचानक, सहसा । तुरन्त । ऊरणियौ-देखो 'उररिणयो' । खड़े-खड़े। ऊरणी-स्त्री०१ मादा भेड़। २ एक प्रकार का अोठों का रोग। ऊभारणौ (बौ)-देखो 'उभरगी' (बौ) । ऊरणी (बौ)-क्रि० १ चक्की में अनाज डालना । २ खेत में अभीकंटाळी-स्त्री० बृहती कंटाली। अनाज बोना । ३ युद्ध में घोड़े झोंकना । ४ मुट्ठियां भर-भर ऊमोड़ो, ऊभा-वि (स्त्री० ऊभी, ऊभोड़ी) १ खड़ा हुआ। खाना । ५ आक्रमण करना। ६ गिराना, डालना। २ सीधा ऊपर उठा हुअा। ऊरध-देखो 'उरद्ध'। ऊमंगरणौ (बो)-देखो 'उमंगरणी' (बौ) । ऊरधपाद-पु० एक प्रकार का प्रासन । एक कीड़ा विशेष । ऊमंड-स्त्री० [सं० उन्मण्डन] १ बाढ़, बढ़ाव। २ घिराव । ऊरधपुड-पु० ललाट का खड़ा तिलक। ३धावा, हमला । ४ावेश । ऊरधबाहु-वि० एक बाहु ऊपर उठाकर तपस्या । ऊमंडरपो (बौ)-देखो 'उमंडगो' (वी)। करने वाला। ऊम-देखो 'ऊच' । ऊरबांणो-देखो 'उबांगो' (स्त्री० अरबांणी)। ऊमड़रणौ, (बौ), ऊमटणौ. (बौ)-देखो उमड़णी' (बौ) | ऊरबौ-पु० १ आशा, उम्मीद । २ भरोसा विश्वास । ३ इज्जत । For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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