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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इंद्रावरज इकलंग इंद्रावरज-पु० [सं०] ईश्वर। इकतर (त्तर)-वि० १ सत्तर से एक अधिक । २ एकत्र । इंद्रावाहण-देखो 'इंद्रवाहण' । -स्त्री० सत्तर व एक की संख्या, ७१ । इंद्रासण-पु० [सं० इन्द्रामन] १ स्वर्ग का राज्य । २ इन्द्र का इकतरफौ-वि० एक ही पक्ष का, पक्षपातपूर्ण । सिंहासन । ३ ढगण के प्रथम भेद का नाम । इकता-देखो 'एकता'। इंद्रि, इंद्रिय, इंद्री-स्त्री० [सं० इन्द्रिय] १पंचेन्द्रिय जिनसे ज्ञान इकतार-वि० एक रस, समान, बराबर । -क्रि० वि० प्राप्त होता है । २ शारीरिक शक्ति । ३ वीर्य । ४ शिश्न, निरन्तर । लिंग । ५ शक्ति, बल । ६ पांच की संख्या । ७ दस की | इकतारौ-पु० १ एक तार का वाद्य । २ इकहरे सूत का वस्त्र । संख्या । -जुलाब-पु० मूत्र विरेचन । -सुर-पु. इकताळ-पु. १ एक क्षण, पल । २ बारह मात्राओं की ताल । इन्द्रियों के देवता । इकताळी (स)-वि० चालीस व एक । -पु० चालीस व एक की इंद्रोको-पु० एक वृक्ष विशेष । संख्या, ४१ । -क्रि० वि० जल्दी। इंद्रौ-देखो 'इंद्र'। इकताळीसौ, ईकताळी-पु० ४१ का वर्ष । इंधरण (धारण, णी)-० [स० इंधन] जलाने की लकड़ी, कंडा, | इकतीस-वि. तीस व एक। -पु. तीन व एक की तेल आदि। संख्या, ३१ । इंधारी-देखो 'अंधारी'। इकतीसौ-पु० ३१ का वर्ष । इंधारीजरणौ (बौ)-क्रि० अंधकार मय होना । इकदरौ-पु०१ पुरानी इमारतों के नीचे बना तहखाना । इंधारौ-देखो 'अंधारौ'। २ एक दरवाजे का कमरा या कोठड़ी। इनण, इनणी-देखो 'इंधरण' । इकपतनी-स्त्री० पतिव्रता। इंयु-प्रव्य० यों, ऐसे। इकपदो-स्त्री. राह, रास्ता, मार्ग । इंसान-पु० [अ०] मनुष्य । इकपोत्यौ-पु. एक ग्रंथि वाला लहसुन । इंसाफ-पु० [अ०] १ न्याय । २ फैसला, निर्णय । इकबाल-पु०१ स्वीकार, कबूल । २ भाग्य । ३ प्रताप । इहकार-देखो 'अहंकार'। इकमन्ना-वि० एक मत वाला, संगठित । इहंकारी-देखो 'अहंकारी' । इकमात-भाई, ईकमायौ-पु० यौ० सहोदर । भाई। इ-पु० [सं०] १भेद । २ कोप । ३ खेद,संताप,दुःख । ४ अनुकम्पा । इकमोलो-वि० एक ही मूल्य का । ५ अपाकरण, खंडन । ६ भावना । ७ पवित्रता । इयासियो-पु. ८१वां वर्ष । ८ कामदेव । ९ ग गश । १० शिव । ११ सूर्य । १२ स्वामि | इकयासी-वि० अस्मी और एक की संख्या के बराबर । कात्तिकेय । १३ ब्रह्मा । १४ इन्द्र । १५ चन्द्रमा । इकरंगौ-वि० समान रंग का। १६ सर्प । १८ दया। -सर्व० इन, इसने । इस । इकर, इकरां-क्रि० वि० एक बार । -अव्य ० १ पाश्चर्य, दया, क्रोध सूचक ध्वनि । २ निश्चयार्थ सूचक शब्द । २ पादपूर्त्यक प्रत्ययशब्द । इकरक्खों-वि० (स्त्री० इकरक्खी) सदा एकसा स्वभाव वाला। -वि० व्यर्थ। इकरथ-वि० व्यर्थ । इन. इए--सर्व० यह । --अव्य० इतने में । इससे । इकरदन-पु० यौ० गजानन,, गणेश । इउ', (ऊ)-क्रि० वि० इस तरह, ऐसे । -वि० व्यर्थ । इकरवा (चाप)-स्त्री. दीवार में लगाया जाने वाला सीधा इकत इकांत-देखो 'एकांत'। पत्थर। इकरांणवौ-पु० ९१ का वर्ष । इक (को)-वि० [सं० एक] एक । -टक-क्रि० वि० अपलक, निस्पंद नेत्रों से, लगातार । -डंकी-स्त्री० एक छत्रता। इकरांणु, (ए)-वि० नब्बे व एक । -पृ० नब्बे व एक की -डंडी-वि० एकाधिकारी। -ढाळियौ-वि० एक तरफ __ संख्या , ६१ । ढालू छत वाला । -साखियो-पु० खरीफ की इकरांणमौ-वि० इकारण के स्थान वाला। फसल वाला । इकरार-पु० [अ०] वादा, प्रगण, संकल्प । -नांमौ-पु० प्रतिज्ञा इकखरौ-पु० डिगल का एक गीत, (छंद)। पत्र, शर्तनामा। इकठो, इकठौ (छौ)-वि० एकत्र, संगृहीत । इकरारा-क्रि० वि० १ एक बार । २ तेजी से । इकडंकी-स्त्री० एक छत्रता, एकाधिकार । | इकला-क्रि० वि० लगातार, निरन्तर । २ देखो एकलिंग' । For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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