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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra इ-देव नागरी लिपि का तीसरा स्वर । ई - सर्व० इस इसने । - क्रि०वि० व्यर्थ में, बेकार में । " इं (ऊं) - क्रि०वि० इस प्रकार, ऐसे। इंकलाब पु० [अ०] १ कोई बड़ा परिवर्तन इंग, इंगन पु० १ कान हिलना इंगरेज- देखो 'अंगरेज' । इंडकाकड़ी-देखो 'एरंड काकड़ी' । इंडोली- देखो 'इडांणी' । इंडियो देखो 'आरंद' । इंडो- पु० अंडा, गोला 1 हंडी-देखी 'इडांगी'। इस इंसि सर्व० इसने । इंतकालदेखी 'अंतकाळ' | २ अंति २ चिह्न संकेत । 2 इंगलयान (सतांन) - पु० अंग्रेजों का देश, इंग्लिस्तान, इंग्लैंड । इंगलस (लिसी० जी इंदल (लो)। इंदर देखो 'इन्द्र' www. kobatirth.org ( ११७ ) इंगळा - स्त्री० to इड़ा नामक नाड़ी । इंगलंड-स्त्री० अंगरेजों के देश का नाम । इंगार ५० पनि, अंगारा | इंगाल- पु० एक प्रकार का आहार संबंधी दोष । (जैन) इंगित - पु० [सं०] संकेत, चिह्न । इंच पु० [० ] एक छोटा नाप । इंछा स्त्री० इच्छा | इंजन- पु० १ किसी मशीन को चलाने वाला यंत्र । २ रेल का इंजन । इंजीनियर - पु० [अ०] यंत्र विद्या का पूरा जानकार | यांत्रिक, अभियंता । इंजीन स्पी० ईसाइयों की धर्म पुस्तक । दंडे, इंडेक०वि० यहां - लोक इंद्रलोक | -इ इंतजाम पु० प्रबंध, व्यवस्था इंतजार स्त्री० [प० प्रतीक्षा ईद-०१, सुरेश २ मा शशि३ पदका बारहवां भेद । ४ एक की संख्या । परि० अगुर, स्य -- गोप- पु० १ वीर बहूटी नामक कीड़ा । २ जुग । - पत्थ पु० इन्द्रप्रस्थ - पुरी - स्त्री० स्वर्ग । पूत- पु० जयंत बालि । अर्जुन बघू स्त्रो० शवी वीर बहूटी -- लोक स्त्री इंद्रपुरी। 1 3 सप्ततर पु० वज्र । ० [० | पाकुट के बीज | जाळ 'इंद्रजाल' धनक'इंद्रधनुख' । इंदरा - देखो 'इंदिरा' - वर 'इंदिरावर' । इंदराढपु० कपाटों में लगने की साड़ी लकड़ी। इंदरी देवी 'हंदी' । - इंदब- पु० एक छन्द विशेष इंदसेन --- देखो 'इंद्रसेन' । इंदारी- देखो 'अंधारी' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ध इंदिरां स्त्री० [सं०] १ लक्ष्मी । २ मोभा ३ ग्रामा, कांति - वर- पु० लक्ष्मीपति विष्णु । आश्विन के कृष्ण पक्ष की एकादशी । इंदीवर पु० [सं०] कमल । - इंदु पु० [सं०] १ चन्द्रमा २ देखो 'इंद्र' -नां स्त्री० नर्वदा नदी । सुन्दरी - वार पु० सोमवार इंद्र पु० [सं०] १ देवताओं का राजा क ' अंदुक' । बदना स्त्री० चन्द्रमुखी, ज्योतिष का एक योग | २ स्वामी, पति ३ पूर्व दिशा । ४ पूर्व दिशा का दिग्गज । ५ ग्राठ दिग्पालों में से एक । ६ छप्पय छंद का बारहवां भेद । ७ एक की संख्या । -जाळ- पु० जादूगरी, नजरबंदी की कला । मायाजाल । बहत्तर कलाओं में से एक। श्ररि पु० असुर राक्षस गोप-पु० वीरबहूटी नामक जंतु क-पु० जादूगर, । - जाळक-पु० ऐंद्रजालिक जीत० मेघनाद जीत, जेन पु० लक्ष्मरण । - धनुख, धनुस, धांनक- पु० वर्षाकालिक विविध रंगी इन्द्रधनुष पुर पुरी ५० -बध-स्त्री० वीर बहूटी। शची। -मंडळ-पु० सात नक्षत्रों का समूह । लुप्त - पु० शिर के बाल उड़ने का रोग। -लोक-१० स्वर्ग । -वाड़ी - स्त्री० नन्दनवन 1 - वाहरण पु० -- पु० वज्र । - सुत- पु० बालि, जयंत, अर्जुन इंद्रकील स्त्री० हिमालय का एक शिखर । इंद्रजव-देखो 'हंदज । १ ऐरावत । २ गज हाथी । - ससतर-सस्त्र इंद्रध्वज - पु० १ एक बहुत ऊंचा ध्वज जिस पर हजार छोटी-छोटी झण्डियों होती हैं । (जैन) २ तीर्थ करों के चौतीस प्रतिशयों में दसवां अतिशय । For Private And Personal Use Only इंद्रांण, (गो), इंद्रा - स्त्री० [सं० इंद्राणी ] १ इन्द्र- पत्नी शची । २ देवी दुर्गा इंद्राणिक पु० [सं० इन्द्रारिएक] एक श्रृंगरिक ग्रासन | इंद्रानुज - पु० [सं०] १ विष्णु हरि । २ श्री कृष्ण । ३ वामन | इंद्रापुर (री) - देखो 'इंद्रपुर' । इंद्रा (पी) त्री० [इंद्रायन] एक प्रकार की बनाव उसका फल | इंद्राध-पु० [सं० इन्द्रायुध] इन्द्र का वज्र ।
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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