SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 106
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्राघसतड़ो प्राच्छौ प्राघसतड़ी-देखो 'अगस्त' । प्राचमरणौ (बी)-क्रि० १ भोजन के बाद हाथ धोना, कुल्ला ग्राघांगुण, (घुरण)-पु० भौंरा, भ्रमर । करना, आचमन करना । २ भक्षण करना । प्राघात-पु० [सं०] १ प्रहार, चोट । २ अाक्रमण, हमला, बार। | आचमन, (न्न)-पु० [सं० पाचमनम्] १ भोजनोपरांत जल से ३ धक्का, टक्कर । ४ दुःख, कष्ट । ५ ध्वनि । -वि० हाथ-मुह की सफाई, पाचमन । २ अनुष्ठान या पूजन के भयंकर । ---क-वि० चोट पहुंचाने वाला, घातक । प्रारम्भ में दाहिनी हथेली से जलपान । आधार-पु० [सं०] १ घी, घृत । २ छिड़काव । ३ हवि । प्राचमनी-स्त्री० पूजा का छोटा चम्मच जिससे पाचमन करते ४ हवि-मंत्र। तथा चरणामृत आदि देते हैं । प्राघाहट-देखो 'आगाहट'। प्राचरज-पु०१ पाश्चर्य, विस्मय । २ प्राचार्य । आधेरौ-वि० (स्त्री० आधेरी) दूर । पाचरण-पु० [सं० पाचरणम्] १ व्यवहार, बर्ताव । २ चालप्राधे-देखो 'पागै'। चलन । ३ आचार-विचार । ४ रीति-नीति । प्राधौ-वि० (स्त्री० ग्राघी) १ प्रागे, प्रागाड़ी । २ दूर, फासले ५ चिह्न, लक्षण । पर । ३ पृथक, अलग, । ४ परे । प्राचरणो (बौ)-क्रि० १ व्यवहार या बर्ताव करना । २ विचार माघ्रांण-स्त्री० १ गंध, महक । २ गंध ग्रहण । ३ सूघना, | करना । ३ भक्षण करना, खाना। ४ उपयोग करना। वास लेना क्रिया। ५ आचमन करना। आघ्रात -पु० [सं०] ग्रहण का एक भेद । प्राचवरणौ (बौ)-क्रि० आचमन करना । प्राग-पु. १ वर्षा-पागमन के पूर्व की उमस, गर्मी। २ वर्षा पाचवन-देखो 'आचमन' । के लक्षण। प्राचार-पु० [सं०] १ व्यवहार, बर्ताव । २ चरित्र । ३ रीति पाड़त-स्त्री० अन्य व्यापारी का माल अपने स्तर पर बेचने रिवाज । ४ सदाचार, शील । ५ स्नान । ६ आचमन । का कार्य । दलाली । २ उक्त कार्य में मिलने वाला ७ दान-पुण्य । ८ नियम । ९ लक्षण । १० शुद्धि । कमीशन । ३ पुराने समय का एक लगान । ४ गरज, ११ धार्मिक नियमों उप-नियमों का पालन करना (जैन)। आवश्यकता, मतलब । १२ देखो 'अचार' । -गळ-गळी-देखो 'अचागळ' । -वांनपाड़तियो-पु० पाड़त का कार्य करने वाला व्यापारी । दलाल।। वि० सदाचारी, शीलवान । पवित्रता रखने वाला। प्राडाजीत-पु० देखो, 'पाडाजीत' । प्राचारज-पु० [सं० प्राचार्य] १ गुरु, प्राचार्य, पंडित, विद्वान । पाड़ी-स्त्री० १ बराबर की जोड़ी, युग्म । २ तबला या मृदंग २ शुक्राचार्य । ३ कवि । ४ मृतक के पीछे कर्म कराने बजाने का ढंग। २ कलह, लड़ाई। -गारौ-वि० कलह- वाला । ५ उपाधि विशेष । ६ पुरोहित । प्रिय । झगड़ालू । -वाळ-वि० बराबर का । प्राचारजी-स्त्री. १ प्राचार्य । २ प्राचार्य का काम । समान । समवयस्क । प्राचारणौ (बौ)-देखो 'पाचरणी' (बौ)। प्राड़-वि०१ उदंड, बदमाश । २ अड़ियल । ३ हठी, जिद्दी । प्राचार-विचार-पू० [सं०] १ सोचना-समझना । २ विवेक । ४ उज्जड़, गवार, असभ्य । -पु. १ एक प्रकार का फल ।। ३ सद्भाव, चरित्र । ४ व्यवहार । ५ शौच । २ एक प्रकार का पत्थर जो संवारा नहीं जा सकता है। प्राचारवेदी-पु० [सं०] भारतवर्ष । प्राई-पाड-क्रि० वि० १ अगल-बगल में, इधर-उधर । प्राचारहीरण-वि० आचरण-भ्रष्ट । अचरित्रवान । ___ आस-पास, निकट । प्राचारि-देखो 'पाचार' । पाड़ोस-पाडोस-पु० अगल बगल के घर, स्थान प्रादि । आचारिज-देखो 'प्राचारज' । आड़ोसी-पाड़ोसी-वि० अड़ोस-पड़ोस में रहने वाला । प्राचारी, (क)-वि० [सं० याचारिन्] १ प्राचारवान् । प्राडो-पु० १ हठ, जिद्द । २ बालहठ । ३ किसी वस्तु के लिए २ शास्त्रानुगामी । ३ चतुर, दक्ष । ४ चरित्रवान । ५ समान, बराबर रुदन । ४ युद्ध । ५ चमड़ा साफ करने वालों से तुल्य । ६ दातार, उदार । लिया जाने वाला कर । ६ मवेशी खेत में घुसने पर लिया | जाने वाला दण्ड । प्राची, (चू)-देखो 'पाच' । प्राचंत-वि० शोभायमान, सुशोभित ---कि० वि० है। प्राचूगाळ-देखो 'अचूगाळ'। प्राच-पु०१ हाथ, हस्त । २ समुद्र, सागर। --गळ, गळौ- प्राच्छादन-पु० [सं०] १ ढकना, ढाकन । २ छप्पर । देखो 'अचागळ' । ---प्रभव -पु० क्षत्रिय, राजपूत । ३ आवरण । ४ वस्त्र, कपड़ा। -मरण='पाचमन'। प्राच्छौ-देखो 'पाछौ' (स्त्री० ग्राच्छी)। For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy