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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ग्रामळसोंगी श्रागळसोंगो - पु० वाला बैल | अग्रगण्य | ३ विशेष अधिक । ४ दूसरा ५ पूर्व का, पूर्व जन्म का ६ विगत, पुराना - क्रि०वि० सामने, सम्मुख 1 स्त्री० [ग्रामोंगो) जागाड़ी के हुए सींगों ग्रामीपाद बागीपाखी देखो 'बागापाछी। श्रागवरण- देखो 'ग्रागमण' । चावी देखो 'वो' www.kobatirth.org प्रागळि, (टी) देखो 'आगळ' | गठिया (बाळ) प्रावलिहार वि० वा पी । गळू (च) 'गळ' आगळे । गळे (से)- वि० पहले के पूर्व के आगे, आगाड़ी । श्रागळौ-देखो 'आगळ' (स्त्री० ) । प्रागली - वि० (स्त्री० आगली ) १ अगला, आगे का । २ अगुवा, + ( 2 ) श्रागस पु० १ श्रग्नि, याग । २ दोष, अपराध । श्रागस्त, प्रागस्ति-देखो 'अगस्त' । श्रच क्रि०वि० १ पहले से पूर्व में । २ अग्रिम, पेशगी । धागू क्रि०वि० पहले से पेशगी २ बागाड़ी बि० मार्ग दिखाने वाला, अगुवा । -कथ-स्त्री० भविष्यवाणी । 1 , धात (तो)- डि०वि०१ आगे आगाड़ी २ अग्रिम ३ सामने । - क्रि० वि० धागून कि०वि० घाने की घोर बागाड़ी । ग्रागे 10 आगे (गँ) - क्रि०वि० ग्रागाड़ी आगे । भविष्य में, सामने । बाद में । - वांग - वि० अग्रगण्य । नेता | प्रागेटी-स्त्री० १ सेकने या तापने की धीमी अग्नि । २ देखो 'अंगीठी' | अन्य अपर । ७ ग्रागामी । श्रागाऊ पु० [० सेना का अग्र भाग, हरावल । वि० १ ग्रागाड़ी का प्रथम । २ अग्रिम | बागाडी देखो 'बगारी' | श्रीगाज पु० १ क्रोध, रोष । स्त्री० २ गर्जना ध्वनि । श्रागा पाछी स्त्री० १ चुगली । २ निन्दा | ३ परस्पर भिड़ाने की वात । श्रागार - पु० [सं०] १ ग्रावासस्थान, घर । २ स्थल स्थान | ३ खजाना । ४ भण्डार । ५ छूट (जैन) । । घावाली-वि० (स्त्री० [बामाली) १ पाने का पता २ अधिक, विशेष | श्रागामि (सो) - १ देखो 'प्राकास' । २ देखो 'आकासी' । श्रागाहट, (ठ) - पु० [सं० प्रघात्य ] चारणों की जागीरी के गांव । प्रति-कि०वि० १ २ पहिले पूर्व । आगे गाडी | प्रागे, ३ देखो 'आग' | आगिना देखो 'ग्राग्या' | प्राणिमि (मी) देखो'बागी'। 1 प्रागियों ० १ जुगनु २ एक तांत्रिक मंत्र । ३ छोटे बच्चों का एक रोग | ४ एक प्रकार का पशुयों का रोग । ५ एक प्रकार की पास | - धाविती देवी यानी' (स्त्री घाली । श्रागी - वि० १ ऋतुमती, रजस्वला । २ देखो 'ग्रागौ' । - वांग - वि० [० अग्रगण्य, नेता । प्रगत ग्रामदेवी सा आगह कि०वि० पहले पूर्व श्रागौकढ़ियाँ - पु० वेगार | बेमन का कार्य । - । यागांमि (मी) वि० [सं० आगामिन्] १ धाने पाने वाला धामी पाछी कि० बि० इधर-उधर २ कभी आगे कभी १ । २ भविष्य में होने वाला । पीछे । ३ हस्तान्तरण । ४ देखी 'आगोपीछौं' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वाला जन्म | घासण १ पहला जन्म पूर्वजन्म २ भविष्य में होने श्रागोर स्त्री० १० १ जलाशय के प्रास-पास की पड़ती भूमि जिसके वृक्षादि काटे नहीं जाते । २ जलाशय या खेत की परिसीमा । ३ सारंगी में ठाठ की भोर से पहिला तार । 1 गोपीछौ पु० १ शरीर या वस्तु का अगला या पिछला भाग । २ ग्रागे पीछे का विचार । १ निरन्तर लगातार । ग्रालय (लगा) २ बराबर । ३ क्रमश: । आग्या स्त्री० [सं० प्रज्ञा ] १ ग्रादेश, हुम । स्वीकृति । ३ शासन । ४ प्रदेश पत्र । श्रादेश का पालन करने वाला । चक्र - पु० चक्रों में से छठा । —पत्र - पु० आदेश पत्र | आग्रह - पु० [सं०] १ अनुरोध मनुहार । ३ तत्परता । For Private And Personal Use Only २ अनुमति —कारी - वि० योग के आठ २ हठ, जिद्द | श्राग्राज स्त्री० जोश पूर्ण ग्रावाज । गर्जना | जली (बी) त्रिगर्जना करना, दहाड़ना। आप (पि) जु० [सं०] [] १ मान प्रतिष्ठा २ बादर, सत्कार । ३ देखो 'ग्रध' । -उ-देखो 'प्राधी' । —रत - पु० - । यादर, सत्कार । आप घड़ी देखो 'बाय' (स्वी० वाघड़ी। | प्राण- देखो 'ग्रागण' । २ देखो 'बागड़' | देखा' (स्त्री० पाती। श्राघमा ( णौ न, नौ) - ०१ प्रग्रणो । २ उदारचित | ३ उत्साह युक्त । ४ स्वागत करने वाला ५ देखो' आगमण' । श्रावसणी (बी) - कि० घण करना, घिसना ।
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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