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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir का भाग गया था। इस तरफ वाजिदअली महेबूब .... महेबूब ......महेबूब पुकारता रहा, चिल्लाता रहा और उतने में ही वहाँ अंग्रेज आ पहुँचे और उनके हाथ पेर में बेडियाँ डालकर बंदी बना दिया। दूसरे की अपेक्षा भारी पड़ गई। इसलिए शास्त्रकार कहते हैं। "अविक्खा हु अणाणंदे" अपेक्षा यानि आनंद का घटना। कोई मेरी प्रशंसा करे तो अच्छा! कोई मेरा काम कर दे तो अच्छा! काई मेरे सानुकूल हो जाए तो अच्छा! कोई मेरी बात मान ले तो अच्छा! कोई मेरा हाथ पकड़कर आगे बढ़ा दे तो अच्छा! ऐसी कई प्रकार की इच्छाएँ/अपेक्षाएँ अपने मन के आंगन में हमेशा उछल-कुद किया करती है। जब ये अपेक्षाएँ पूरी नहीं हो पाती तब दुःखी कर जाती है। ऐसा तो होना ही होना है। सारी की सारी अपेक्षाएँ किसकी पूरी हुई है? अगर आप स्वाधीन शांति को चाहते है तो दूसरों से किसी प्रकार की अपेक्षा मत रखिये। जो आदमी आत्मनिर्भर है, अपने कर्तव्यों के प्रति पूर्ण सजग है। दूसरे के मान-सम्मान की मीठे मधुर शब्दों की आशा नहीं रखता है वहीं व्यक्ति मस्ती से जी सकता है। जीवन में जब अहंकार आता है तब व्यक्ति के जीवन में अनेक अपेक्षाएँ जन्म ले लेती है। अपेक्षाएं और आशाएं व्यक्ति को कमजोर बनाती है। अपने आत्मबल पर कुठाराघात करती है। अतः सदैव निर्पेक्ष आशारहित जीवन जीए। गीता में ठीक ही कहा है- “कर्मण्येवाधिकारस्ते" कर्म करने में ही तुम्हारा अधिकार हैं, फल की अपेक्षा मत रखो। महामहोपाध्याय श्री यशोविजयजी म. कहते है। “परस्पृहा महादुःखं निःस्पृहत्वं महासुखम्" दूसरे की आशा महादुःख का कारण बनती है और निस्पृहा महासुख का कारण बनती है। हमारी कामनाएँ बहुत अधिक है। कामनाएँ हमको नचा रही है। अधिकतर हम इसी कारण से चिंतित रहते है। एक कामना पूरी होते ही दूसरी पैदा हो जाती है, उन कामनाओं के गुलाम बनकर हम जिदंगी पूरी कर देते हैं। क्योंकि कामनाओं के चक्रजाल में हम फँसते ही जाते है फँसते ही जाते है उससे निकल नहीं पाते है। मन में अनेक कामनाएं लिए ही हम दफन हो जाते हैं, व्यक्ति जर्जरित होता है कामनाएं नही For Private And Personal Use Only
SR No.020580
Book TitlePriy Shikshaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasagar
PublisherPadmasagarsuri Charitable Trust
Publication Year2006
Total Pages231
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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