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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गणधर भी होंगे श्रृतधर भी होंगे आचार्य और साधु साध्वी भी होंगे, व्रतधर श्रावक और श्राविकाएँ भी होंगी, इन्द्र और देव देवी भी होंगे, पशु पक्षी आदि तिर्यंच भी होंगे। तब संभवनाथ भगवान ने प्रत्युत्तर में कहा था। यह छोटा सा दिखनेवाला चूहा सबसे पहले मोक्ष में जाएगा। ऐसा कहकर/बताकर भगवान ने छोटे से – नन्हे से चूहे की लोक हृदय में प्रतिष्ठा करी थी। तैमुर को मार डालने के लिए दुश्मन पीछे लगे थे। शत्रुओं से घबराया हुआ। तैमुर भागता हुआ एक शून्य निर्जन खंडहर में प्रवेश कर गया। उस खंडहर में छिपकर खड़ा रह गया। वहीं उस की नजर एक चींटी के उपर गिरी। वह चींटी एक दाने को घसीट कर ले जाना चाहती थी। परन्तु ऐसा हो नहीं पा रहा था क्योंकि चींटी की साइज से भी दाने की साइज बड़ी थी। फिर भी हिम्मतबाज चींटी का निर्धार था कि दाने को छोड़ना नहीं हैं। तैमुर ने अपनी ही आंखों से देखा कि चींटी ने कुल 69 बार प्रयत्न किए और अंत में वह सफल हो गई। उस दाने को घसीटकर बील में ले ही गई। बस इतना ही प्रसंग देखकर तैमुर में हिम्मत आ गई। मन में निर्धार करके दुश्मनों पर तूट पड़ा। एकलवीर होकर सब दुश्मनों को मार भगाया और पुनः राज्य प्राप्त किया। एक छोटी सी चींटी से भी प्रेरणा ली जा सकती है। "चलणा है, रेणा नहीं" दासी के इस वाक्य से प्रेरणा लेकर एक बादशाह ने बादशाही छोड़कर फकीरी स्वीकार करी थी। दासी के कहने का तात्पर्य ये था कि जहाँपनाह! वहाँ छलनी तो है, पर बेंगन नहीं है। बादशाह ने दासी से छलनी में पड़े बेंगन मंगवाए थे। छोटे से बालक की बात भी फेंक देने जैसी नहीं होती है। कितनीक बार उसकी बातें भी बड़े काम की होती है। आठ वर्षीय बाल अभयकुमार ने किनारे रहकर कुए से अंगूठी बाहर निकाल कर दिखायी थी। 499 मंत्री इस कार्य को नहीं कर पाये थे। सूर्यास्त की छोटी सी घटना देखकर हनुमान को, बीखरते बादल देखकर अरविंद राजा को, चाचा की अपमृत्यु से लव-कुश को, वृद्ध आदमी को देखकर दशरथ को संसार से वैराग्य हुआ था और उन्होनें संयम पथ-स्वीकार किया था। एक बार रास्ते पर पुल के नीचे, उपर रेल्वे का पुल था। नीचे से रास्ता -230 For Private And Personal Use Only
SR No.020580
Book TitlePriy Shikshaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasagar
PublisherPadmasagarsuri Charitable Trust
Publication Year2006
Total Pages231
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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