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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir है- (1) जन्म चांडाल, (2) कर्म चांडाल, (3) क्रोध चांडाल और (4) निंदा चांडाल । हम चांडाल के घर/कुल में नहीं जन्में इसलिए हम चांडाल नहीं है, जिसका जन्म चांडाल कुल में हुआ हो वह जन्म चांडाल । कर्म चांडाल- उत्तम कुल में जन्म होने पर भी काम चांडाल जैसे करता हो वह कर्म चांडाल । क्रोध चांडाल- जिसका गुस्सा तीव्र हो बात बात में गुस्सा करता हो वह क्रोध चांडाल । निंदक चांडाल- हम किसी की निंदा करते है तब चांडाल बनते है। यह बात हमेशा याद रहे तो कितना अच्छा है! निंदा को क्रिया का अजीर्ण कहा हैं। चार प्रकार के अजीर्ण है- (1) भोजन, (2) ज्ञान, (3) तप और (4) क्रिया। इन चारों का अजीर्ण हो सकता हैं । खाने के बाद वोमिट हो, लुझ मोसन हो तो समझना कि भोजन पचा नहीं है। खुद के ज्ञान का प्रदर्शन करने का मन हो तो, या अहंकार बढ़ने लगे तो समझना कि ज्ञान पचा नहीं हैं। बात बात में गुस्सा आये दिमागी संतुलन न रहे तो समझ लेना कि तप पचा नहीं है। दूसरे की निंदा बढ़े तो समझलो कि क्रिया पची नहीं हैं। हमारी उत्कृष्ट क्रिया दूसरे की निंदा करने का सर्टीफिकेट/ लायसन्स न बन जाय, उसका पूरा-पूरा ध्यान रखना। निगोद में अनन्तकाल तक वाणी थी ही नहीं, बेइन्द्रिय में पहली बार जीभ मिली। जीभ मिलने से हमें वाणी मिली, परन्तु व्यवस्थित और योग्य बोलना तो मनुष्यभव में ही मिला। जिस वाणी के द्वारा अनन्ता तीर्थकरों-गणधरों-युग प्रधानों और आचार्यो ने मोक्ष मार्ग कहा, उसी वाणी को हम निंदा के द्वारा अपवित्र करेंगे? गंगा को गटर बनायेंगे? अमृत को जहर बनायेंगे? एक जगह बड़े काम की बात लिखी है यदीच्छसि वशीकर्तुजगदेकेन कर्मणा। पराडपवाद सस्येभ्यो, गांचरन्ति निवारय।। समग्र जगत को यदि एक ही काम से आप वश करना चाहते हो तो पर निंदा रूपी घास चरने वाली अपनी वाणी रूपी गाय को अटका दें। निंदा से अगर हम अटकेंगे तो सचमुच हम अनर्थों से बच सकते हैं। हम अच्छी से अच्छी क्रिया करें, यह अच्छी बात है, दूसरे भी अच्छी से अच्छी क्रिया करने लग जाय ऐसी भावना रखना यह भी अच्छी बात है। परन्तु कोई अच्छी क्रिया करता न हो | 11 For Private And Personal Use Only
SR No.020580
Book TitlePriy Shikshaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasagar
PublisherPadmasagarsuri Charitable Trust
Publication Year2006
Total Pages231
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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