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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra (21) www. kobatirth.org सेव्यो देश: सदा विविक्तश्च " सदा एकान्त स्थान का सेवन करना " Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपाध्याजी महाराज कह रहे है कि एकान्त स्थानं मे रहना, अकेले में रहना परन्तु अकेले में रहना बडा ही कठीन है। अगर आपको कमरे में अकेला छोड़ दिया जाय, कहा जाय कि तीस दिन अकेले रहना है, कहेंगे अकेला नहीं रह सकता, अगर आदमी न मिले तो आदमी कुत्ता पाल लेता है, बिल्ली पाल लेता है। बम्बई चौपाटी में एक स्त्री किसी कारण से अकेली रहती है किन्तु उसने अनेक बिल्लियाँ पाल रखी है। कहने को वह अकेली है लेकिन कई बिल्लियों के साथ रहती है, इतना ही नहीं वह स्त्री बिल्लियों के रहने खाने पीने की व्यवस्था तो करती है किन्तु उनकी गन्दगी भी साफ करती है। कुत्ते और बिल्ली के साथ रह सकता है अकेला नहीं रह सकता, रेडियो खोल लेगा । जिस गीत को हजार बार सुन चूका है उसे फिर सुनेगा, जिस अखबार को पच्चीस बार पढ़ चूका है फिर उठा लेगा पढ़ना शुरू करेगा अकेला नहीं रह सकता। आदमी रिटायर होता है तो परेशान होता है, नौकरी छूटती है तो मुश्किल होती है, बड़ी उम्र में भी अकेला होना नहीं चाहता । औरंगजेब ने अपने बाप को बंद करवा दिया था, आखिरी वक्त में कारागृह में बंद करवा दिया था औरंगजेब के बाप ने एक चिट्ठी भेजी कहा कि एक काम करो, यहाँ अकेले रहना बहुत मुश्किल है। इतनी कृपा करो कि तीस बच्चे भेज दो जिनको मैं पढ़ाता रहूँ। औरंगजेब ने आत्मकथा में लिखवाया है। मेरे बाप को फुर्सत से रहना जरा भी पसन्द नहीं है, तीस बच्चे बुला लिए, उनको पढ़ाना शुरू किया। उनके बीच अकड़ वापस पा ली जो एक बादशाह की होती है। तीस के बीच फिर वह बादशाह हो गया। डांट रहा है। ठीक कर रहा है। सुधार रहा है। समझा रहा है। पढ़ा रहा है। फिर से चारों तरफ चिंताएँ खड़ी कर ली। लेकिन वह अकेला नहीं रह सकता, आराम नहीं कर सकता । सुबह से हम उठते हैं दुनिया शुरू होती है। जो काम शुरू होता है, वह हमें भीड़ 156 For Private And Personal Use Only 1
SR No.020580
Book TitlePriy Shikshaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasagar
PublisherPadmasagarsuri Charitable Trust
Publication Year2006
Total Pages231
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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