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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जाना चाहिए। एकनाथ के पास एक व्यक्ति आया करता था, चर्चा करता प्रश्न पूछता- एक दिन अजीब सा प्रश्न पुछ लिया। मैं आपको बहुत दिनों से जानता हूँ, आज आपसे पूछ ही लेता हूँ। आपमें बुराईयाँ पैदा होती है या नहीं? विषय-कषाय पैदा होते है या नहीं? अन्दर पाप पैदा होते है या नहीं? बुरे विचार तो आते होंगे, बाहर से तो मैं आपको जानता हूँ अन्दर के बारे में मुझे बताइए। अभी बता दूँ। पर मुझे एक बात ध्यान में आई कल जब मैंने तुम्हारा हाथ देखा था मुझे दिखाई पड़ा कि सात दिनों में तुम्हारी मृत्यु होगी, सात दिन बाद तुम मर जाओगे, तो मैं तुम्हें बता दूँ अब तुम्हारे प्रश्न का जवाब देता हूँ। कहीं फिर से भूल न जाऊँ इसलिए बता दूँ । व्यक्ति बैठा था खड़ा हो गया, कहा मौका मिला तो फिर आऊँगा। हाथ पैर कांपने लगे। जबान पे ताला लग गया। संत ने कहा इतनी जल्दि क्या हैं? सात दिन बहुत है, मरना तो है, सभी को मरना है। व्यक्ति एकनाथ की बात नहीं सुन रहा था, नीचे उतरने लगा। आया तब बल था, शक्ति थी, लौट रहा है तो दिवार के सहारे। मौत सात दिन बाद है अब बूढ़ा हो गया, रास्ते में ही गिर पड़ा। बेहोश हो गया। लोगों ने घर पहुँचाया, मित्र स्वजन इकट्ठे हुए खबर फैल गई। सात दिन बाद मौत है। सातवें दिन शाम के समय घर के सारे लोग रो रहे थे, व्यक्ति बिस्तर पर लेटा था। एकनाथ उसके घर गए, मौत का सा वातावरण था, उन्होंने कहा रोओ मत। मेरे मित्र एक बात पूछ ने आया हूँ, इन सात दिनों में कोई विकार, बुराई, पाप भीतर में पैदा हुए, मुश्किल से आंख खोली, मरते हुए की मजाक कर रहे हो। संत ने कहातुमने भी मरते हुए की मजाक की थी। तुम्हारी मौत अभी नहीं है, मैने तुम्हारे प्रश्न का उत्तर दिया है। जिसे मौत नजर आए, पाप की सजा नजर आए, दुर्गति नजर आए, पाप विलिन होते चले जायेंगे, विकार मर जाते है। विषय कषाय मोह-बुराइयाँ दमन पाप की भारी सजा को नजर समक्ष रखने से आत्म दमन तो होता ही हैं किन्तु इनका विसर्जन भी होता है । म्युझियम में रजवाड़े के समय की भोजन करने की एक डिस रखी हुई है। उस डिस के -127 For Private And Personal Use Only
SR No.020580
Book TitlePriy Shikshaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasagar
PublisherPadmasagarsuri Charitable Trust
Publication Year2006
Total Pages231
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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