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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org जाएगी। दुनिया गुणियों की पूजा करती है अतः दुनिया में मेरा भी मान-सम्मान बढेगा, इज्जत होगी, अथवा मेरा भी नाम महापुरूषों की पंक्ति में गिना जाएगा। दुनिया की आंखों में धूल झोंक कर अपनी बड़ाई करने वाला खुद की आत्मा को दुर्गति के भँवर में फँसाता है । कभी असलियत छिपी नहीं रहती, चाहे कितना भी छिपाओ कभी न कभी अनायास ही खुल जाती है। और तब शर्मिंदा होना पड़ता है। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एक गधा एक बार घांस चरते -चरते नगर से जंगल में पहुँच गया। वहाँ एक शियार ने उसे देखा, दोनों के बीच औपचारिकता से बातचीत शुरू हुई और मित्रता में समाप्त हुई। शियार ने कहा तुम जैसा मित्र पाकर आज मैं बहुत खुश हूँ । सचमुच तकदीर से ही तुम जैसा मित्र मिलता है। जाने का वक्त हूआ तो गधा बोला, अच्छा! तो, अब मैं चलू? शियार बोला। अब तुम यहाँ रोज ही आया करोगे, जिससे अपना मिलन भी हो जाया करेगा और तुम्हें पेट भरने के लिए घांस भी। अब गधा रोज ही जंगल में जाने लगा । दोनों की मुलाकातें होती रही, दोस्ती भी पक्की हो गई। एक दिन उन दोनों ने मरे हुए शेर की खाल देखी, तो शियार ने कहा- यह शेर की खाल है और बड़े काम की है। हमारे बहुत काम लगेगी। इससे जंगल में हम अपना शासन भी चला सकेंगे। उठाकर देखी तो खाल बड़ी थी। शियार बोला। यह मेरे नाप की नहीं है, तुम्हारे नाप की है, अतः तुम ही इसे ओढ़ (पहन) लो। मित्र के कहने से गधे ने खाल ओढ़ ली । वाह! दोस्त क्या जच रहे हो तुम सचमुच तुम शेर ही नजर आ रहे हों। हम दोनों मिलकर एक आइड़िया करते है। हमें जंगल का राजा बनकर हुकूमत करने का बहुत अच्छा अवसर हाथ लगा है, अतः क्यों न इन सब प्राणियों पर राजा बन कर राज किया जाय और अपना उल्लू सीधा किया जाय। हमें किसी का डर भी तो नहीं है। क्योंकि असली शेर मर चूका है। यह बात पेड़ पर बैठे बंदर ने सुनी तो वह गधे से बोला ! तुम जो करने जा रहे हो वह कतई योग्य नहीं है, यह पोल जब कभी खुलेगी तो बहुत भारी पड़ जाएगा। शियार बीच में ही 112 For Private And Personal Use Only
SR No.020580
Book TitlePriy Shikshaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasagar
PublisherPadmasagarsuri Charitable Trust
Publication Year2006
Total Pages231
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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