SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 861
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२ प्रश्नव्याकरणसूत्रे वक्तव्या। तथा-'चउसट्ठीमहिलागुगा' चतुष्पष्टिमहिलागुणाः आलिङ्गनादीनामष्टानां प्रत्येकस्याष्टविधत्वेन ये चतुष्पष्टिसंख्यका महिलागुणास्तेऽपि च न वक्तव्याः । तथा-' देसजाइकुलरूवणामनेवत्थपरिजणकहाओ' देश नातिकुलरूपनामनेपथ्यपरिजनकथाः तत्र-देशकथा लाटादिदेशसम्वन्धिस्त्रीणां वर्णनम् , यथा-' लाटयः और कपाल आदि से युक्त स्त्री दुर्भग होती है, इस प्रकार ये स्वीयो की सुभगता और दुर्भगता से संबंध रखने वाली कथा भी साधु को नहीं कहना चाहिये । तथा (चउसष्टुिं महिलागुणाणं च ) जिस कथा में स्त्रियों के चौसठ गुणों से संबंध हो, अर्थात् स्त्रियों के चौसठ गुणों को लेकरजो कथा चलती हो वह भी साधु को नहीं कहनी चाहिये। आलिगन आदि आठ गुण प्रत्येक आठ २ प्रकार के होते हैं, इस तरह ८xc=६४ प्रकार के महिलाओं के गुण कहे गये है। सो ये चौंसठ ६४ प्रकार के महिलाओं के गुण भी कथामें चर्चनीय नहीं होनी चाहिये। तथा (देसजाति कुलवणामनेवत्थपरिजगकहाओ इत्थियाणं अण्णावि य एवमाझ्याओ सिंगार कलुणाओ संजमबंभचेर घाओवघाइयाओ यंभचेरं अणुचरमाणेणं न कहेयव्वा न सुणेयव्वा न चिंतियव्या) देश,जाति, कुल, रूप, नाम, नेपथ्य, परिजन, इनसे संबंध रखने वाली स्त्रियोंकी कथाएँ भी नहीं कहनी चाहिये-लाटादि-देश संबंधी स्त्रियों का वर्णन जिस कथामें होता है वह देश कथा है, जैसे-लाट देश की स्त्रियां बहुत ही कोमल કપોળ વાળી સ્ત્રી વિરલ હોય છે... આ રીતે સ્ત્રીઓની સુભગતા કે વિરલતા साथे सय रामती ४था पशु साधुये ४ी मे नही. " च उसद्धि महिला गुणाणं च"२ थाने। सीमाना यासह गुणे। साथे संपाय એટલે કે સ્ત્રીઓના ચોસઠ ગુણેને અનુલક્ષીને જે કથા ચાલતી હોય તે પણ સાધુએ કહેવી જોઈએ નહી. આલિંગન આદિ આઠ ગુણામને પ્રત્યેક ગુણ આઠ આઠ પ્રકારને હોય છે, આ રીતે ૮૪૮-૬૪ પ્રકારના એના ગુણ બતાવ્યા છે. તે તે ચોસઠ પ્રકારના સ્ત્રીઓના ગુણ પણ કથામાં ચર્ચાને योग्य नथी. तथा "देस जातिकुलरूवणाम-नेवत्थ-परिजण-कहाओ इत्थियाणं अण्णा वि य एवमाइयाओ कहाओ सिंगारकलुणाओ संजमवं बचेरघा भोव वाइयाओ बंभचेर अणु चरमाणेणं न कहेयच्या न सुणेयच्या नचिंतियव्या" ,जति. मु,३५,नाम, नेपथ्य, પરિજન, વગેરે સાથે સંબંધ રાખનારી સ્ત્રીઓની કથાઓ પણ કહેવી જોઈએ નહીં. લાટાદિ દેશની સ્ત્રીઓનાં વર્ણન જે કથામાં હોય તે દેશ કથા છે, જેમકે “લાટ દેશની સ્ત્રીએ બહુ જ મદુ વચન વાળી અને નિપુણ હોય For Private And Personal Use Only
SR No.020574
Book TitlePrashnavyakaran Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalalji Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1002
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy