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________________ बालीने बावनाचंदन राखने अर्थे । दहश् गोसीस सिरिकम बारक्कए। बोकमो लेवाने अर्थे अरावण हाथी वेचे। बगल गहण मेरावणं विक्कए॥ इबीतदाइ कल्पवृक्ष तोमीने एरंमो ते वावे । कप्पतरु तोमि एरंग सो वावए। जुज वा थोमा वीषयने अर्थे मनुषपणुं हारे ॥७॥ जुजि विसएहिं मणुअत्तणं हारए ॥७॥ असास्वतुं जीवीतव्य जागी। मोक्षमारग जाणता थका ॥ __ अधुवं जीवनं मच्चा। सिधिमग्गं विप्राणिश्रा॥ नीवरतज्यो वा पाला नसरज्यो जोगथी। आयु थोफु आपणु ॥७॥ विणिअहिऊ नोगेसु। आपरमि अप्पणो ॥७॥ मोक्षमार्गमा रह्याने तोहे पण । जेम दुर्जय ने जीवने पांच वीषय॥ सिवमग्ग संठिाणवि।जह दुॐा जिप्राण पण विस |ते बीजं कांइ पण जगतमां। दुर्जय नथी समस्त एटले स या॥ र्व जगतमां वीषय समान ॥७॥ तह अन्नं किंपि जए। दुळेअं नबि सयलेवि॥७॥ सवीटक नद्भट रूप जेह। दीपाथी मोह पामे जेह मन स्त्रीनु॥ सविमं नतम रूवा। दिन मोहे जा मणं बी॥ हे आत्महीत चिंतवनार नर। अती दूर परीहरे वा अती वेगलो रेहेजे ॥७॥ आयहिअं चिंतता। दूरयरेणं परिहरंति ॥ ॥ सत्य श्रुत पण सिल। वीज्ञान तथा तप पण वैराग्य ऐ॥ - - -
SR No.020562
Book TitlePrakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavchand Jechand Shah
PublisherRavchand Jechand Shah
Publication Year1888
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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