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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir "क" से, और Z (जेद् ) "ओ" से (१) बहुत कुछ मिलता है. इस प्रकार उर्दूके ३, और अंग्रेजीके ११ अक्षर पालीसे मिलने पर भी हम यह नहीं कहसक्ते, कि उर्दू अथवा अंग्रेजीसे पाली अक्षर बने हैं, या पालीसे उ अथवा अंग्रेजीके अक्षर बने हैं. सन् ई० से अनुमान ७०० वर्ष पहिले किनीशियन अक्षरोंसे ग्रीक ( गूनानी ) अक्षर बने, और पश्चिमी ग्रीक अक्षरोंसे पुराने लाटिन, और उनसे अंग्रेज़ी अक्षर बने हैं. २५०० से अधिक वर्ष गुजरनेपर आज भी अंग्रेजी अक्षरोंको फिनीशियन अक्षरोंसे मिलाकर देखें, तो, A (ए), B (बी), C (सी), F (एफ), । (आई), K (के), L (एल), M (एम), N (एन), P (पी), २ (क्यु), R ( आर ), और T ( टी) अक्षर ठीक उन्हीं उच्चारण वाले फ़िनीशियन अक्षरोंसे बहुत कुछ मिलते हैं (२). ___ इसी प्रकार गांधार लिपिको (३) फिनीशियनसे मिलायें, तो “अ, क, ट, न, फ, ब, र, और ह" अक्षर उन्हीं उच्चारण वाले फिनीशियन अक्षरोंसे मिलते जुलते मालूम होते हैं, जिसका कारण यह है, कि गांधार लिपि फ़िनीशियनसे निकली हुई ईरानकी लिपिसे बनी है. .. यदि पाली अक्षर फिनीशियन, अरामिअन, या हिम्यारिठिक आदि किसीसे बने हों, तो अंग्रेज़ी और गांधार अक्षरोंकी नाई पालीके कितनेएक अक्षर अपनी मूल लिपिके साथ आकृति और उच्चारणमें अवश्य मिलने चाहिये, परन्तु उनका परस्पर मिलान करनेसे पाया जाता है कि: मिस्र देशके अक्षरों (४) मेंसे एक भी अक्षर समान उच्चारण वाले पाली अक्षरसे नहीं मिलता. फिनीशियन (४) वर्णमालाके २२ अक्षरों मेंसे केवल एक अक्षर "गिमेल" (ग) पालीके "ग" से मिलता है. हिम्यारिटिक (५) अक्षरोंमेंसे केवल “द" और "ब" बाची दो अक्षर पालीके "द" और "ब" से कुछ २ मिलते हैं. अरामियन (६) अक्षरों से एक भी अक्षर पालीसे नहीं मिलता, - (१) पाली अक्षरों के लिये देखो लिपिपत्र पहिला. (२) वेबस्स दू'टर नेशनल डिक्शनरी ( पृ० २०११). (३) गांधार लिपिके लिये देखो लिपिपत्र २५ वा. (४) एनसाइक्लो पोडिया ब्रिटानिका (नवौं बार छपा हुआ , जिल्द १, पृ० ६००). (५) बोम्ब ब्रच रायल एशियाटिक सोसाइटीका जर्नल (जिल्द २, पृ०६६ के पास की प्लेट). (६) प्रिन्सेस इंडिअन ऐंटी क्विटीज ( एडवर्ड टामस साहिबकी छपवाई हुई, जिल्द २, पृ. १६८ के पासको प्लट), For Private And Personal Use Only
SR No.020558
Book TitlePrachin Lipimala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaurishankar Harishchandra Ojha
PublisherGaurishankar Harishchandra Ojha
Publication Year1895
Total Pages199
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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