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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाण्डुलिपि-विज्ञान और उसकी सीमाएं/17 2 45 16. 1200 ई. के बाद लौरेजों डे मेडिसी का - पुस्तकालय, फ्लोरेंस, कोडेक्स पार्चमेण्ट इटली 17. 1367 ई. बिब्लियोथीक नेशनल - (नेशनल लाइब्रेरी), पेरिस, फ्रांस 18. 1447 ई. वेटिकन पुस्तकालय, वेटिकन सिटी में (भारत तथा कुछ अन्य देशों के प्रमुख ऐतिहासिक पुस्तकालयों का विवरण परिशिष्ट में दिया गया है।) अाधुनिक पांडुलिपि प्रागार 'द माडर्न मैन्युस्क्रिप्ट लाइब्रेरी' के लेखक ने तीन प्रकार के संग्रहालयों में अन्तर किया है : 1. रक्षागार (Archives) 2. म्यूजियम-अजायबघर का अदभूतालय 3. हस्तलेखागार या पांडुलिप्यागार 'रक्षागार' के सम्बन्ध में इनका कथन है कि : One of the most important types of Manuscript repo itory is the off cial archive which preserves the records of federal, state, or local government bodies. _ 'रक्षागार' सरकारी कागज-पत्रों का भण्डार होता है। भारत में 'राष्ट्रीय लेखा रक्षागार' (National Archives) ऐसा ही संग्रहालय है । बीकानेर में 'राजस्थान' के समस्त राज्यों के कागज-पत्र एक संग्रहालय में सुरक्षित हैं । अजायबघर (Museum) में ऐसी वस्तुओं और हस्तलेखों का संग्रह रहता है जिनका महत्त्व दर्शनीयता के कारण होता है । कलात्मक वैचित्र्य या वैशिष्ट्य इनमें रहता है । इनका उपयोग हस्तलेखागारों या पांडुलिप्यागारों से भिन्न रूप में होता है। उपर्युक्त ग्रंथकार के अनुसार हस्तलेखागार का प्रधान उद्देश्य है अध्येताओं तथा अनुसंधान-कर्ताओं के लिए उपयोगी सिद्ध होना । वह लिखते हैं कि, 'A manuscript library exists to serve the scholar and the student' किन्तु 'हस्तलेखागार' का जो स्वरूप और विशेषता इस लेखक ने प्रस्तुत की है, वह ऐसे देशों के लिए है जहाँ सभ्यता, संस्कृति और लेखन का सूत्र 300-400 वर्ष पूर्व 1. Bordin, R. B. & Warner, R.M. --The Modern Manuscript Library, P 9 इसी लेखक ने यह भी लिखा है 'Archives are the permanent records of a body usually, but not necessarily, or going, of either a public or private character. (P.6) For Private and Personal Use Only
SR No.020536
Book TitlePandulipi Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyendra
PublisherRajasthan Hindi Granth Academy
Publication Year1989
Total Pages415
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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