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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 16/पाण्डुलिपि - विज्ञान 1 4. ई. पू. 600 56 5. 6. ? ? 7. ? 8. ? 9. ई. पू. 500 10. ? 11. ई. पू. 237 14. 600 ईसवी 2 नन्हेवेह (असीरिया) 15. 800 €. 12. ई. पू. 411 से पर्गेमम पूर्व । (दूसरी शती ई. पू. के आरम्भिक चरण के लगभग) 13. 500 ईसवी www.kobatirth.org उर निप्पर ( Nippur) किसी तेल्लो एथेन्स (यूनान) अलेक्जेण्ड्रया 3 4 5 10,000 ईंटें असुरबेनी पाल इंट (clay tablets) इदफिर (प्राचीन इदफुल ( Idful) होरेस के मंदिर में सेंट कैथराइन की मोनस्ट्री सिनाई पर्वत पर सैंट गेले (स्विटजर लैंड में) (?) एथोस पर्वत पर ( यूनान में ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ईंट पेपीरस पिजिस्ट्रेटस 500,000 (1) अलेक्जेंडर पेपीरस खरीते (2) टालमी प्रथम (Scrolls) पेपीरस 200,000 सिंकदर के बाद के पेपीरस एवं खरीतों से भी उत्तराधिकारी कहीं अधिक पार्चमेन्ट (चर्मपत्र ) For Private and Personal Use Only कोडेक्स पार्चमेन्ट 1. मार्क एण्टनी ने 41 ई० पू० में पर्गेमम पुस्तकालय के 200,000 खरीते (Scrolls) ग्रंथ 'किलोपेट्रा' को दे दिये थे कि उन्हें अलेक्जेंड्रियन पुस्तकालय में रखवा दिया जाय । 2. पर्गे मम के पुस्तकालय का बहुत संवर्द्धन हुआ । इससे सिकंदरिया के लोगों को यह आशंका हो गयी कि कहीं सिरिया के पुस्तकालय का महत्व कम न हो जाय । अतः उन्होंने पर्गेमम को पेपीरस देना बंद कर दिया। तब पर्गेमम में चमड़े के चर्म-पत्र का आविष्कार किया गया, जिसे 'पर्गेमेण्टम' कहा गया, ही पार्श्वमेण्ट हो गया । पार्श्वमेण्ट के खरीते नहीं बन सकते थे, अत: उनके पृष्ठ बने या पन्ने बने । इन पन्नों की सिलाई की गयी। यह सिले हुए पन्नों का रूप कोडेक्स ( Codex) कहलाया । यही आधुनिक जिल्दबंद पुस्तक का जनक है।
SR No.020536
Book TitlePandulipi Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyendra
PublisherRajasthan Hindi Granth Academy
Publication Year1989
Total Pages415
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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