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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 298/पाण्डुलिपि-विज्ञान इसी प्रकार अलंकरण-विधान भी काल-क्रमानुसार मिलते हैं, अतः इनकी भी सुची प्रस्तुत की जा गकती है और काल-क्रम निर्धारित किया जा सकता है । अन्तरंग पक्ष : सूक्ष्म साक्ष्य ऊपर स्थूल-पक्ष पर कुछ विस्तार से चर्चा की गई है। अब सूक्ष्म साक्ष्य पर भी संक्षेप में दिशा-निर्देश उचित प्रतीत होता है। सूक्ष्म साक्ष्य में वह सब कुछ समाहित किया जाता है जो स्थूल पक्ष में नहीं आ पाता । इसमें पहला साक्ष्य भाषा का है। भाषा ___ भाषा का विकास और रूप-परिवर्तन भी काल-विकास के साथ होता है, अतः भाषा का गम्भीर अध्येता उसकी रूप-रचना और शब्द-सम्पत्ति तथा व्याकरणगत स्थिति के आधार पर विकास के विविध चरणों को कालावधियों में बाँटकर, काल-निर्धारण में महायक के रूप में उसका उपयोग कर सकता है। इसका एक उदाहरण 'बसन्त विलास' के काल-निर्धारण का दिया जा सकता है। यह हम देख चुके हैं कि 'बसन्त-विलास' में काल विषयक पुष्पिका नहीं है । तब डॉ० माताप्रसाद गुप्त से पूर्व जिन विद्वानों ने 'बसन्त विलास' का सम्पादन किया था उन्होंने भाषा के साक्ष्य को ही महत्त्व दिया था। उनके तर्क को डॉ० माताप्रसाद गुप्त ने संक्षेप में यों दिया है : "श्री व्यास (श्री कान्तिलाल बी० व्यास) ने 1942 में प्रकाशित अपने पूर्वोक्त संस्करण में कृति की रचना-तिथि पर बड़े विस्तार से विचार किया है (भूमिका पृ० 29-37)। उन्होंने बताया है कि सं० 1517 के लगभग लिखते हुए रत्नमन्दिर गरिण ने अपनी 'उपदेशतरंगिणी' में 'बसन्त-विलास' का एक दोहा उद्धृत किया है, और रचना की सबसे प्राचीन प्रति, जो कि चित्रित भी हैं, सं० 1508 की है, इससे स्पष्ट है कि रचना विक्रमीय 16वीं शती को प्रारम्भ में ही पर्याप्त ख्याति और लोकप्रियता प्राप्त कर चुकी थी।" (यहां तक बाह्य साक्ष्यों का उपयोग किया गया है) “साथ ही उन्होंने लिखा है कि भाषा की दृष्टि से विचार करने पर कृति की तिथि की दूसरी सीमा सं० 1350 वि० मानी जा सकती है । भाषा-सम्बन्धी इस साक्ष्य पर विचार करने के लिए उन्होंने सं० 1330 में लिपिबद्ध 'आराधना', सं० 1369 में लिपिबद्ध 'अतिचार' सं० 1411 में लिखित 'सम्यक्तव कथानक' सं० 1415 में लिखित 'गौतम रास' सं0 1450 में लिखित 'मुग्धावबोध औक्तिक,' सं० 1466 में लिखित 'श्रावक अतिचार', सं० 1478 में लिखित 'पृथ्वी चन्द्र चरित्र' तथा सं० 1500 में लिखित 'नमस्कार बालावबोध' से उद्धरण देते हुए उनकी भाषाओं से 'वसन्त-विलास' की भाषा की तुलना की है और लिखा है कि 'बसन्त-विलास' की भापा 'श्रावक अतिचार' (सं० 1466) तथा 'मुग्धावबोधौक्तिक, (सं० 1450) से पूर्व की और 'सम्यक्त्व कथानक' (सं० 1411) तथा 'गौतम रास' (सं0 1412) के निकट की ज्ञात होती है । इस भाषा सम्बन्धी साक्ष्य से तथा इस तथ्य से कि रत्नमन्दिर गणि के समय (सं० 1517) तक कृति ने पर्याप्त लोकप्रियता प्राप्त कर ली थी, यह परिणाम निकाला जा सकता है कि 'बसन्त-विलास' की रचना सं0 1400 के आस-पास हुई थी। इसलिए मेरी राय में विक्रमीय 15वीं शती का प्रथम चतुर्थांश ही (सं0 1400-1425) 'बसन्त विलास' का सम्भव रचनाकाल होना चाहिये (भूमिका पृ० 37)।"1 1. गुप्त, माताप्रसाद (डॉ०)--बसन्त-विलास और उसकी भाषा, (भूमिका), पृ. 4।.. For Private and Personal Use Only
SR No.020536
Book TitlePandulipi Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyendra
PublisherRajasthan Hindi Granth Academy
Publication Year1989
Total Pages415
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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