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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाण्डुलिपि-विज्ञान और उसकी सीमाएँ।9 पांडुलिपि भण्डार प्रकाश में प्राते जा रहे हैं । इस कारण भी पांडुलिपि-विज्ञान आज महत्त्वपूर्ण हो उठा है। एक बात और हैं, कुछ ऐसे विज्ञान पहले से विद्यमान हैं जिनका सीधा सम्बन्ध हमारे पांडुलिपि-विज्ञान से है-यथा-पेलियोग्राफी एक विज्ञान है। यह वह विज्ञान है जो पेपीरस, पार्चमेंट, मोमीपाटी (Postherds), लकड़ी या कागज पर के पुरातन लेखन को पढ़ने का प्रयत्न करता है, तिथियों का उद्घाटन करता है और उसका विश्लेषण करता है। इसके प्रमुख ध्येय दो माने गये हैं : पहला ध्येय है पुरातन हस्तलेखों को पढ़ना । यह बताना आवश्यक नहीं कि पुरातन हस्तलेखों का पढ़ना कोई प्रासान कार्य नहीं है । वस्तुतः प्राचीन मध्ययुग एवं आधुनिक युग की हाथ की लिखावट को ठीक-ठीक पढ़ने के लिए लिपिविज्ञान (पेलियोग्राफी) का प्रशिक्षण आवश्यक है। इस विज्ञान के अध्ययन का दूसरा ध्येय है इन हस्तलिपियों का काल-निर्धारण एवं स्थान-निर्धारण । इसके लिए अन्तः साक्ष्य और बहिःसाक्ष्य का सहारा लेना होता है, लिखावट एवं उसकी शैली आदि की भी सहायता लेनी होती है । ग्रन्थ का रूप कैसा है ? वह वलयिता है, पट्टग्रथित पुस्तक (कोडेक्स) है, या पत्रारूप है ? उसका कागज या लिप्यासन, उसकी स्याही, लेखनी का प्रकार, उसकी जिल्दबन्दी तथा साज-सज्जा, सभी की परीक्षा करनी होती है, और उनके आधार पर निष्कर्ष निकालने होते हैं । सचित्र पांडुलिपियों के काल एवं स्थल के निर्धारण में चित्र बहुत सहायक होते हैं क्योंकि उनमें स्थान और काल के भेद के आधार बहुत स्पष्ट रहते हैं। एक विज्ञान है ऐपीग्राफी। यह विज्ञान प्रस्तर-शिलाओं या धातुओं पर अंकित लेखों या अभिलेखों को पढ़ता है, उनका काल निर्धारित करता है, और उनका विश्लेषण करता है। ___ इसी प्रकार अन्य विज्ञान भी हैं। ये सभी पांडुलिपि के निर्मायक विविध तत्त्वों से सम्बन्धित हैं । पर इन सबसे मिलकर जो वस्तु बनती है और जिसे हम 'पांडुलिपि' कहते हैं, उस समग्र इकाई का भी विज्ञान आज अपेक्षित है । अन्य विविध विज्ञान इस विज्ञान के तत्त्व निर्धारण में सहायक हो सकते हैं । पर, समस्त अवयवों से मिलकर जब एक रूप खड़ा होता है, तब उसका स्वयमेव एक अलग वैज्ञानिक अस्तित्व होता है । उसको एक अलग विज्ञान के रूप में हमें जानना है । अतः पांडुलिपि-विज्ञान वह विज्ञान है जो अध्येता को पांडुलिपि को पांडुलिपि के रूप में समझने एवं तद्विषयक समस्याओं के वैज्ञानिक निराकरण में सहायक सिद्ध होता है । पांडुलिपि-विज्ञान एवं अन्य सहायक विज्ञान ___पांडुलिपि विज्ञान से सम्बन्धित कई विज्ञान हैं । ये इस प्रकार हैं : 1. डिप्लोमैटिक्स 2. पेलियोग्राफी, 3. भाषाविज्ञान, 4. ज्योतिष, 5. पुरातत्त्व, 6. साहित्य शास्त्र, 7. पुस्तकालय विज्ञान, 8. इतिहास, 9. खोज, शोध प्रक्रिया विज्ञान (Research Methodology) और 10. पाठालोचन-विज्ञान (Textu:1 Criticism). 1. Palaeography, Science of Reading, dating and analyzing ancient writing on papyrus, parchment, waxed teblets, pcstherds, wood or paper. -The Encyclopaedia Americana, Vol. 2,p. 163. For Private and Personal Use Only
SR No.020536
Book TitlePandulipi Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyendra
PublisherRajasthan Hindi Granth Academy
Publication Year1989
Total Pages415
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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