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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाण्डुलिपि-विज्ञान और उसकी सीमाएँ /3 से उस प्रागैतिहासिक मनुष्य का रूप ऐतिहासिक काल की भूमिका में उभरता है, जो प्रगति पथ की ओर चलता ही जा रहा है। उसके संघर्ष के अवशेष इतिहास के काल-क्रम में दबे मिल जाते हैं । उनसे मनुष्य की संवर्ष कथा का बाह्य साक्ष्य मिलता है । इन बाह्य साक्षियों के प्रमाण से हम उसके अंतरंग तक पहुंचने का प्रयत्न करते हैं। प्रत्येक ऐसे आदिम उपादानों के साथ सहस्राब्दियों का मानवीय इतिहास जुड़ा हुआ है। इन अवशेषों के माध्यम से इतिहासकार उन प्राचीन सहस्राब्दियों का साक्षात्कार कल्पना के सहारे करता है। उन्हीं के आधार पर वह प्राचीन मानव के मन एवं मस्तिष्क, विचारों और प्रास्थानों के सूत्र तैयार करता है। उदाहरणार्थ-अल्टामीरा की गुफाओं में दूर भीतर अँधेरे में कुछ चित्र बने मिले । मनुष्य ने अभी भवन या झोपड़ी बनाना नहीं सीखा, अतः वह प्राकृतिक पहाड़ियों या गुफाओं में शरण लेता था । गुफाओं में भीतर की ओर उसने एक अँधेरा स्थान चुना यानी उसने निभृत स्थान, एकान्त स्थान चुना क्योंकि वह चाहता था कि वहाँ वह जो कुछ करना चाहे, वह सबकी दृष्टि में न आवे । उसका वह स्थान ऐसा है, कि जहाँ उसके अन्य साथी भी यों ही नहीं पा सकते । स्पष्ट है कि वह यहाँ पर कोई गुह्य कृत्य करना चाहता था। चित्र-यहाँ उसने चित्र बनाये । अवश्य ही वह इस समय तक कृत्रिम प्रकाश उत्पन्न करना जान गया था, उसी प्रकाश में वह चित्र बना सका, अन्यथा वह चित्र न बना पाता । साथ ही गुह्य स्थान पर जो चित्र उसने बनाये वे चित्र सोद्देश्य हैं । इसका उद्देश्य टौना हो सकता है । वह टोने में अवश्य विश्वास करता था। उसी टोने के लिए तथा तद्विषयक अनुष्ठानों के लिए एकान्त अन्धकार पूर्ण गुह्य अंश उस गुफा में उसने चुना, और वहाँ वे चित्र बनाये 12 इन चित्रों के माध्यम से टोने के द्वारा अपना अभीष्ट प्राप्त करना चाहता था। प्रागैतिहासिक काल के लोग टोने में विश्वास करते थे। उनके लिए टोना धर्म का ही एक रूप था ऐसा कुछ हम गुहा और उनके चित्रों को देखकर कह सकते हैं। किन्तु यथार्थ यह है कि यह जो कुछ कहा गया है उससे भी और अधिक कहा जा सकता था-पर यह सब कुछ बाह्य साक्ष्य से मानस के अंतरंग तक पहुँचाने के उपक्रम में कल्पना के उपयोग से सम्भव होता । उदाहरणार्थ--सामने चित्र है । पुरातत्वविद् उसे देख रहा है। चित्र, उसकी भूमि, उसका स्थान-स्थान का स्वरूप और स्थिति, वहाँ उपलब्ध कुछ उपादान, गुफाओं का काल-ये सब पुरातत्वविद् की कल्पना दृष्टि के लिए एक 2 Much research in this field has been done in recent yea s, and we now have a fairly definite knowledge of the Art of some of the most-primitive of men known to the anthropologist (from 30,000 to 10,000 B C.)......but the famous cave drawings of animals at Altamira in Spain are the most important. -The Meaning of Art, p. 53. There is evidence to show that painting have been often repainted, and that the places where they are found were in some way regarded as sacred by the Bushmen -The Meaning of Art, p. 54. "By the symbolical representation of an event , primitive man thinks he can secure the actual occurence of that event. The desire for progeny, for the death of an enemy, for servival after death, or for the exorcism or propitiation of adequate symbol. (यही टोना है।) -Read, Herbert : The Meaning of Art, p. 57. For Private and Personal Use Only
SR No.020536
Book TitlePandulipi Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyendra
PublisherRajasthan Hindi Granth Academy
Publication Year1989
Total Pages415
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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