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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org श्रत- ६ / पाण्डुलिपि - विज्ञान 1- इन्द्री जयो विद्यावृद्धि संजोगोनाम प्रथमो सर्ग - 65 छंद 2 - विद्या उपदेश वर्णाश्रमधर्म दण्ड महात्मनां द्वितीयों सर्ग-35 छंद 3-प्राचार् व्यवस्थानां तृतीय सर्ग - 29 छंद 4 - राजा मुसाहिब देश कोष षजानों फौज, मित्र परीक्षण गुण वर्णनां चतुर्थ मर्ग - 49 छंद Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 5 - भृत्य मित्रं वंधन उपदेस सामान्य जीत नृत्य नाम पंच सर्ग - 5 लंद 6- कंटक सागोनाम षष्टं सर्ग - 12 छंद 7- राजपुत प्रातमारनदास सरश्ता वर्णनाम् सप्तम् - 41 छंद ४- अष्टमोसर्ग के केवल 32 छंद इसमें हैं । ५) -- प्रप्राप्य 10 अप्राप्य 11 अप्राप्य 12 श्रप्राप्य 13- प्रकीलचर प्रकरण वर्णनोनाम त्रयोदश सर्ग -42 छंद 14 - प्रकृति कर्म प्रकृति विशन वर्णनों नाम चतुर्दश - 43 छंद 15 - राजोपदेश सप्त विसन दूषरण वनेनोनामं पंचदसमी - 39 छंद 16 - राजोपदेश जाना जुवति दरसनों नाम षोडसोसर्ग - 44 छंद 17 - दरसैनो नाम सप्तदश सर्ग - 21 18- अष्टादेशमा सर्ग - 38 19- उनीसवो सर्ग -39 20 - बीसवें सर्ग में व्यूह आदि का तथा अंत में काव्य-ग्रन्थ प्रयोजन दिया है जो 51 वें छंद तक है । आगे के पृष्ठ नहीं हैं । इस प्रकार से इस पुस्तक में लगभग 630 छंद प्राप्य है । उदाहरण दोहा गुरु सेवहु नृप पद वितै पावहु कमला पूर सिक्षा से नीतिहि बढ़े शत्रु हनियतै सूर । जाबर भूप नहि नीति रस ताजीत अरिहीन छोटो ह जग जय लटै राजा शिक्षा लीन || प्रगटि घर श्री जय साहि नरेम धरम अवतार जिनके प्रष्ट प्रधान नीति धम जान बुधिवर सिंधी थारांम स्वांम के काम सुधारत फोज मुसाहिब हुकुमचंद दल उदन विदारत जीवरण जु सिंध विजम प्रतुल मंत्री विमल प्रभानिये मनाजुलाल बगसि बिलंद टाल हिन्दु की जानिये । For Private and Personal Use Only
SR No.020536
Book TitlePandulipi Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyendra
PublisherRajasthan Hindi Granth Academy
Publication Year1989
Total Pages415
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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