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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( जलाभिषेक १) दुरावनम्रसुरनाथकिरीटकोटिसंलग्न रत्नकिरणच्छविधूसरांघ्रिम् प्रस्वेदतापमलमुक्तमपि प्रकृष्टभक्त्या जलैर्जिनपतिंबहुधाभिषिञ्चे ___ मंत्र-(१) ओ हीं श्रीं क्लीं ऐं अर्ह वं मं हं सं तं पं वं वं मं मं हं हं सं सं तं त झं झं झ्वी झ्यीं वीं वीं द्रां द्रां द्रावय द्रावय ओं नमोऽहते भगवते श्रीमते पवित्रतरजलेन जिनमभिषेचयामि स्वाहा। ___ मंत्र (२)-ओं ही श्रीमंत भगवंतं कृपालसंतं वृषभादि वर्धमानांतं चतुर्विंशतितीर्थकर परमदेवं आद्यानां आये जम्बूद्वीपे भरतक्षेत्रे आर्यखंडे................... देशे..................."नाम नगरे एतद् ...............जिनचैत्यालये सं............... मासोतम मासे................... पक्षे तिथौ........... वासरे प्रशस्त ग्रहलग्न होरायां मुनि-आर्यिका-श्रावक श्राविकाणाम् सकलकर्मक्षयार्थ जलेनाभिषेकं करोमि स्वाहा । इति जलस्नपनम् | * अर्घः-उदक चंदन................... अर्घ निर्वपामीति स्वाहा ।। (फलरसाभिषेक २) मुक्त्यंगनानमविकीर्यमाणैः पिष्टार्थकर्पूररजोविलासैः। माधुर्यधुर्यैवर्रशर्करौषैर्भक्त्या जिनस्य वरसंस्नपनं करोमि ।। * नोटः-उपरोत्त दोनों मंत्रों से कोई एक मंत्र बोलना चाहिये । नोटः-- प्रतिष्ठापाठादिमें जलके बाद फल रसका ही अभिषेक है । नोट:-जो रस मौजूद हो उसका श्लोक पढकर चढाना चाहिये । For Private and Personal Use Only
SR No.020534
Book TitlePanchamrutabhishek Path
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZaveri Chandmal Jodhkaran Gadiya
PublisherZaveri Chandmal Jodhkaran Gadiya
Publication Year1958
Total Pages42
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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