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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अब्रह्मचरिय अब्रह्मचरिय नपुं. [अब्रह्मचर्य ] पापाचार, दुराचार हीन जीवनपद्धति, ब्रह्मचर्य का अभाव, अपरिशुद्ध जीवन यं पु. द्वि. वि. ए. व. अब्रह्मचरियं परिवज्जयेय्य अङ्गारकासुं जलितं व विज्ञ सु. नि. 398 अब्रह्मचरिये पहाय ब्रह्मचारी समणो गोतमो दी. नि. 1.4 या प. वि. ए. व. अब्रह्मचरिया विरमेय्य मेथुना, सु. नि. 402 - येन तृ. वि., ए. व. परिसुद्धं ब्रह्मचरियं... अब्रह्मचरियेन अनुद्धंसेति पारा. 109110 वास पु. [अब्रह्मचर्यवास] अधार्मिक जीवन अपवित्र जीवन ब्रह्मचर्यवास के विपरीत जीवन सो प्र. वि. ए. व. सो अब्रह्मचरियवासो ब्रह्मचरिया निखिज्ज पक्कमति म. नि. 2.197 साब. व. तेन भगवता जानता परसता अरहता सम्मासम्बुद्धेन चत्तारो अब्रह्मचरियवासा अक्खाता, म. नि. 2.192. अब्रह्मचारी त्रि.. [अब्रह्मचारिन्] उत्तम चर्या का पालन न करने वाला व्यभिचारी, ब्रह्मचर्य या परिशुद्ध जीवन न जीने वाला, दुराचारी री पु.. प्र. वि. ए. व. समणपटिया अब्रह्मचारी ब्रह्मचारिपटिज्ञो अन्तोपूति, महानि, 168 अब्रह्मचारीति रोद्रचरिया विरहितो महानि, अनु. 270 री प्र. वि., ब. व. - अब्रह्मं हीनं लामकधम्मं चरन्तीति अब्रह्मचारी, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1 (1).196. - अब्रह्मञ्ञ त्रि.. [अब्राह्मण्य], ब्राह्मण अर्थात् आस्रवों का क्षय कर चुके अर्हतों के प्रति असौहार्दपूर्ण, अर्हतों के प्रति आदर भाव न रखने वाला, ब्राह्मणों का सम्मान न करने वाला पु. प्र. कि. ए. व. पुरिसो अमत्तेच्यो अपेत्तेव्यो असामज्ञो अब्रह्नाज्ञ. अ. नि. 1 (1).163: अब्रह्मज्ञोति एत्थ च खीणासवा ब्राह्मणा नाम, तेसु मिच्छा पटिपन्नो अब्रह्मञ्ञ नाम, अ. नि. अड. 2.118 - ता स्त्री०, अब्राह्मण्य का भाव., अर्हतो एवं ब्राह्मणों के प्रति असौहार्दपूर्णता ता प्र. वि. ए. व. असामञ्ञता अब्राह्मञ्ञता न कुले जेद्वापचायिता, दी. नि. 3.52. - www.kobatirth.org 240 - 460 अब्राह्मण पु.. [अब्राह्मण], वह व्यक्ति जो ब्राह्मण नहीं है, ब्राह्मणत्वविरहित व्यक्ति, ब्राह्मण के गुणों एवं धर्म से सर्वथा रहित णो प्र. वि. ए. व. न जच्चा ब्राह्मणो होति. न जच्चा होति अब्राह्मणो कम्मुना ब्राह्मणो होति. कम्मुना होति अब्राह्मणो सु. नि. 655: नि. 655; -- णं द्वि. वि., ए. व. ब्राह्मणो हि ये त्वं ब्रूसि मञ्च ब्रूसि अब्राह्मणं सु. नि. 460 णे द्वि. वि. व. व. ब्राह्मणा इमेहि वण्डालुछिदुकं पीतन्ति अब्राह्मणे करिंसु, जा. अड. 4.348; करण त्रि. वह अवस्था जो ब्राह्मणकारी न हो, ब्राह्मण न करने वाला या अभब्ब ये धम्मा न बनाने वाला धर्म का पु. प्र. वि. ब. व. अब्राह्मणकारका, दी. नि. 1.222. अभक्खत्रि, [अभक्ष्य ], वह, जो भक्षण योग्य न हो, न खाने योग्य, अखाद्य जो भोजन के रूप में उपयुक्त न होक्खो पु०, प्र. वि., ब.व. न चापि मे सीवलि सो अभक्खो.... जा. अट्ट, 6.77 अभक्खोति सो पिण्डपातो मम अभक्खो नाम न होति, तदे०; - सम्मतभाव पु०, अभक्ष्य के रूप में समझा जाना अभक्ष्य के रूप में अनुमोदित रहना वंद्वि. वि. ए. व. अत्तनो सरीरमंसस्स अभक्खसम्मतभावं दस्सेतुं जा. अट्ठ. 6.91. अभच्च त्रि.. [अमृत्य]. वह जो भृत्य न हो या भरण-पोषण योग्य न हो - च्चा पु०, प्र. वि., ब.व. अन्नभच्चा चभच्चा च. योध उदिस्स गच्छति जा. अड. 2306; इतरे तथा अभरितब्बत्ता अभच्चा, जा. अट्ठ. 2.307. अभजना स्त्री०, असेवन, असाहचर्य, असम्पर्क, असंसर्ग - ना प्र. वि. ए. व. असेवनाति अभजना अपयिरुपासना खु. पा. अट्ठ. 99. अभजन्त त्रि भज के वर्त. कृ. का निषे [अभजत्]. अनिच्छुक, अप्रवृत्त किसी तरह का सरोकार न रखने वाला, प्रतिपक्षी न्तं न्तं पु.. द्वि. वि. ए. व. भजे भजन्तं पुरिसं, अभजन्तं न भज्जये, जा. अट्ठ. 5.221; अभजन्तन्ति पच्चत्थिक, जा. अट्ठ. 5.222. - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अभण्डन नपुं., [अभण्डन], अविग्रह, अकलह, सामञ्जस्य, मैत्रीभाव नं प्र. वि., ए. व. इति अभण्डन इति अविग्गहो इति अकलहो, स. नि. 1 ( 1 ) 259. अमद्दक 1 त्रि.. [अभद्र ] अमाङ्गलिक, अकल्याणकारक, अनर्थकारी कं स्त्री. द्वि. वि. ए. व. तरस हीनेन मनसा, वाचं भासिं अभद्दकं, अप. 1.99; अग्गसावकस्स हीनेन लामकेन मनसा चित्तेन अभदकं असुन्दर अयुक्तक अप. अट्ठ. 2.68; 2. नपुं., अकल्याण, बुराई कं द्वि० वि.. ए. व. तस्स पुग्गलस्स अभटक अनत्थं मनसापि न चिन्तेय्य न पिहेय्य, पे. व. अट्ठ 102 - केन तृ. वि., ए. व.- अपरभागे पापेन अभद्दकेन अनत्थकेन बाधति, पे. व. अट्ट. 102. अमन्त त्रि. [ अभ्रान्त], प्रशान्त, भ्रम में नहीं पड़ा हुआ, व्युपशान्तनां नपुं. प्र. वि. ए. व. अभन्तं होति मे चित्त, अखिलो होमि कस्सचि अप. 1.355. For Private and Personal Use Only - अमब्ब त्रि.. [ अभव्य ]. क. अक्षम, असमर्थ नहीं हो सकने योग्य ब्बो पु. प्र. वि. ए. व. चतूहपायेहि च विप्यमुतो -
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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