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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अत्थिक 146 अत्थुपेत अट्ठ 1.206: सोतमोधेसिमस्थिको, थेरगा. 995; ... एको खो, अत्थिराग(सुत्त) नपुं., स. नि. 1(2) के एक सुत्त का नाम, महाराज, अत्थिको, एको अनस्थिको, मि. प. 83; पहन जिसमें अस्तित्व के प्रति चित्त के लगाव का विवेचन है, स. अत्थिको आगतोम्हि, पहं पुच्छितकामो आगतोम्हि, महानि. नि. 1(2).89-91. 349; पाठा. अट्ठिक, अत्थि; ख. पु. - अस्थिकेहि उपञातं अत्थी क. त्रि., [अर्थी], इच्छुक, अभिलाषी - यावतत्थीति मग्गन्ति, महाव. 45; अत्थिको विय आयाति, अतिथी नो वुच्चति, सु. नि. 764; अस्थिपञ्हेन आगम, सु. नि. भविस्सति, जा. अट्ठ. 7.311; पाठा. अद्धिको; - जन पु.. 1049; 1111; ख. पु., भिखारी, याचक - अथ याचनको अत्थिक' + जन कर्म. स. [आर्थिकजन], दरिद्र-जन, अत्थी याचको च वणिब्बको, अभि. प. 740; स. उ. प. के निर्धन लोग, याचक - अत्थिकजनेहि पविवित्तं विरळ दानग्गं रूप में आमिस., चित्तसमाध., भोजन., वाद., सुख. के अहोसि, पे. व. अट्ट, 112; - भाव पु., अत्थिक' + भाव अन्त. द्रष्ट.. [अर्थिकभाव), क. इच्छा, अभीष्टता - अत्तनो अत्थिकभावं अत्थुच्चारणविसेस पु., कर्म. स. [अर्थोच्चारणविशेष], अर्थों .... सुणेय्य, जा. अट्ठ. 5.145; अहिं कत्वाति अत्थिकभावं एवं उच्चारणों में विशिष्टता या अन्तर, विशेष प्रकार के अर्थ कत्वा, अत्थिको हुत्वाति अत्थो, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) और उच्चारण - एवं पदविभागाविभागवसेन समानसुतिकानं 1(2).296; ख. उपयोगिता, लाभदायकता - ... इमिना वा अत्युच्चारण - विसेसो वेदितब्बो, सद्द. 1.38. पिण्डपातमत्तेन अस्थिकभावं, पु. प. अट्ठ. 95; ग. आवश्यकता अत्थुति स्त्री., त्थुति का निषे. [अस्तुति], निन्दा, अकीर्ति, की स्थिति, दुर्दशा की स्थिति, दयनीय अवस्था - ... अत्तनो स्तुति का अभाव - असिलोको अकित्ती च असिलाधा च अत्थिकभावं पवेदेन्ता विचरन्ति, पे. व. अट्ठ. 106; - अत्थुति, सद्द. 2.380. वत/वन्तु त्रि., संभवतः अत्थवन्तु के मिथ्या सादृश्य पर अत्थुद्धार पु., ष. तत्पु. स. [अर्थोद्धार], क.ध. स., अट्ठ. व्यु., जरूरतमन्द, जिसे कुछ पाने की अभिलाषा है, चाह के चौथे अध्याय का नाम, जिसमें पुस्तक की विषयवस्तु का करने वाला - अत्थिकवतो खो पन ते अम्बट्ट, इधागमनं संक्षेप है - तदनन्तरं पन तेपिटकस्स बुद्धवचनस्स अत्थुद्धारभूतं अहोसि, दी. नि. 1.79; अत्थिकमस्स अत्थीति अत्थिकवा, ... अट्ठकथाकण्ड नाम, ध. स. अट्ठ.8; 428; 443; दी. वं. दी. नि. अट्ठ. 1(1).206. 5.37; ख. अर्थ अथवा विषयवस्तु का सारांश, संक्षेपण, अत्थिक त्रि., अस्थि से व्यु. [आस्तिक], नैतिक मूल्यों, विशेषरूप में किसी एक शब्द अथवा समानार्थक शब्दों के परलोक, पुनर्जन्म आदि के अस्तित्व में विश्वास रखने अट्ठ. में प्राप्त अर्थों का संक्षेप-सार, अनेक अर्थों के बीच वाला, अत्थिकवाद आदि के स. पू. प. के रूप में ही प्रयुक्त; शब्द के किसी एक अर्थ का विनिश्चायन - ... एकमेकं पदं - वाद पु., अत्थिक + वाद [आस्तिकवाद], क. परलोक अत्थुद्धारपदुद्धारवण्णना - नयेहि विभजित्वा वेदितब्बा, सु. या ऊंची नैतिकता आदि मूल्यों पर विश्वास रखने वाला नि. अट्ठ. 1.201; इति सहस्स अत्थुद्धारो एवं सद्देन सिद्धान्त - तेसं तुच्छं मुसा विलापो ये केचि अत्थिकवादं समानत्थताय ‘एवं मे सुतान्ति एत्थ विय, उदा. अट्ठ. 38; वदन्ति, दी. नि. 1.49; अत्थिकवादन्ति अस्थि दिन्न । स्वायमिधापि अरियसच्चे वत्ततीति एवमेत्थ अत्थुद्धारतो पि दिन्नफलन्ति इमं अत्थिकवादयेव..., म. नि. अट्ठ. (म.प.) विनिच्छयो वेदितब्बो, विभ. अट्ठ. 80. 2.163; ख. त्रि., आस्तिकवाद का प्रतिपादक - सीलवा अत्थुद्धारण पु., तत्पु. स. [अर्थोद्धारण], शब्दार्थों के संक्षेपपुरिसपुग्गलो, सम्मादिट्ठि अत्थिकवादो, म. नि. 2.74. सार अथवा शब्द के अनेक अर्थों मे किसी एक अर्थ के अत्थिय त्रि., [अर्थ्य], अभिलाषी, प्रयोजन वाला, हितकारक, निर्धारण की पद्धति - नय पु., अर्थ निर्धारित पद्धति - लाभकारक, इच्छुक, केवल स. उ. प. में ही प्रयुक्त०, लोकसङ्घातत्ता वा तेसं धम्मानं अत्थुद्धारणनयेनेतं वुत्तं, म. अत्थत्थिय, किमत्थिय, सुखत्थिय के अन्त. द्रष्ट; - त्थिया नि. अट्ठ (मू.प.) 1(1).254. अत्थिय का स्त्री., के निमित्त, के लिए - किमत्थिया, भन्ते अत्थुद्धारभूत त्रि., [अर्थोद्धारभूत], विषयवस्तुओं अथवा नागसेन, तुम्हाकं पब्बज्जा, मि. प. 29; उपमं ते करिस्सामि, शब्दों के अर्थों का संक्षेप-सार - अत्थुद्धारभूतं अट्ठकथाकण्ड महाराज तवत्थिया, जा. अट्ठ. 7.120. ध. स. अट्ठ. 8; तुल. दी. वं. 5.37.. अस्थिरत्त नपुं., थिर के भाव. का निषे. [अस्थिरत्व], अस्थिरता अत्थुपेत त्रि., तत्पु. स. [अर्थोपेत], त्रिपिटक के वास्तविक - अस्थिरतं कतस्सापि नेकधा सम्पकासयु, चू. वं. 68.18. तात्पर्य निर्णय में निष्णात, अर्थ के सारतत्व को जानने वाला For Private and Personal Use Only
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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