SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 945
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobetirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुराण पद्म शस्त्रों को सामर्थ नहीं जो शत्रुपर चलें गौतमस्वामी कहे हैं हे श्रेणिक जैसे अनंग लवण श्रागे गम के ॥६३शा शस्त्र निरर्थक होय गये तैसे ही मदनांकुशके आगे लक्षमणके शस्त्र कार्य रहित होय गये वे दोनों भाई तो जाने कि ये रामलक्ष्मणतो हमारेपिता और पितृव्य(चचा) हैं सो वे तो इनकाअंग बचाय शर चला औरये उनको जाने नहीं सो शत्रुजान कर शर चलावें लक्षमण दिव्यास्त्र की सामर्थ उनपर चलवेकी न जान शर शेल सामान्यचक्र खडग अंकुश चलावता भया सो अंकुश ने बज्रदण्डकर लक्षमण के श्रायुध निगकरण किये और गमके चलाएअायुध लवण ने निराकरण किये फिर लवणने रामकी अोर सेलचलाया और अंकुशभे लक्षमण पर चलाया सो ऐसी निपुणतासे जो दोनोंके मर्मकी ठौर न लागे सामान्यचोट लगीसो लक्षमणके नेत्र घूमने लगे बिराधित ने अयोध्या की ओर रथ फेरा तब लक्ष्मण सचेत होय कोष करबिराधितसे कहता भया हे बिराधित तैंने क्या कियामेरा रथ फेरा अब पीछा फिर शत्रुका सन्मुखलेवो रण में पीट न दीजिए जैशुरवीर हैं तिनकोशत्रु के सन्मुख मरण भला परन्तु यह पीठदेना महा निंद्यकर्म शूरवीगें को योग्य नहीं कैसे हैं शूरवीरयुद्ध में बाणोंकर पूरितहै अंग जिनका जे देव मनुब्योंकर प्रशंशा योग्य वे कायरता कैसे भनें मैं दशरथ का पुत्र राम का भाई बासुदेव पृथिवी विषे प्रसिद्ध सो संग्राम में पं.ठ कैसे देऊं यह बबन लक्षमण ने केही तब विराधित ने रथ को युद्ध के सन्मुख कियः सो लक्षमण के और मदनांकुश के महायुद्ध भया लक्षमणने क्रोधकर महाभयंकर चक्रहाथमें लिया चक्र महाज्यालारूप ।. देखा न जाय ग्रीष्मके सूर्य समान सो अंकुश पर चलाया सो अंकुशके समीप जाय प्रभाहित होय गया और उलटा लक्षमण के हाथ में पाया फिर लक्षमणने चक्र चलायासेो पीछा-याया इसभांति For Private and Personal Use Only
SR No.020522
Book TitlePadmapuran Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Granth Pracharak Pustakalay
PublisherDigambar Jain Granth Pracharak Pustakalay
Publication Year
Total Pages1087
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy