SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 712
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पद्म जीत के शस्त्र निराकरण किए जिनके पुण्य का उदय है तिनका धात न होय फिर क्रोधकर इन्द्रजीत पुराण हाथी से उतर सिंगोंके रथ चढ़ा समाधानरूप है बुद्धि, जिसकी नाना प्रकारके दिव्य शस्त्र और सामान्य शस्त्र इनमें प्रवीण सुग्रीवपर मेघ वाण चलाया सो संपूर्ण दिशा जल रूप होय गई तब सुग्रीव ने पवन वाण चलाया सो मेघ वाण विलाय गया और इन्द्रजीत का छत्र उड़ाया और ध्वजा उड़ाई और मेर वोहन ने भामंडल पर अग्नि वाण चलाया सो भामण्डलका धनुष भस्म होयगया और सेना में अग्नि प्रज्वलित भई तव भामण्डल ने मेघवाहन परमेववाण चलाया सो अग्निबाण विलयगया और अपनी सेना की रक्षा करी फिर मेघवोहन ने भामण्डल को स्थरहित क्रिया तब भामण्डल दूजेरथचढ युद्ध करने लगा मेघ बाहन ने तामसबाण चलाया सो भामण्डलकी सेना में अन्धकार होय गया अपना पराया कुछ सूझे नहीं मानों मूर्छा को प्राप्त भए तब मेघवाहन ने भामण्डल को नागपाश से पकडा मायामई सर्प सर्व अंग में लिपट गए जैसे चन्दन के वृक्ष के नाग लिपट जावें कैसे हैं नाग भयंकर हैंजे फण तिन करमहा विकराल भामण्डल पृथिवीपर पड़ा और इसही भान्ति इन्द्र जीतने सुग्रीवको नागपाश कर पकड़ा सो धरती पर पड़ा तबविभीषणजो विद्याबल में महाप्रवीण श्रीरामलक्ष्मण से दोनों हाथजोड़ सीसनिवाय कहता भया हे राम महबाहो लक्षमण महावीर इन्द्रजीत के बालोंसे व्याप्त सब दिशा देखो धरती आकाश बाणों से आयादित है उल्कापातके स्वरूप नाग बाण तिन से सुग्रीव और भामण्डल दोनों भूमि विषे बंधे पडे हे मन्दोदरी के दोनों पुत्रों ने अपने दोनोंमहाभट पकड़े अपनोसेनाकेजे दोनों मूलथे वे पकडेगए तवहमारेजीवनेसे क्या इनदिना सेना शिथल होयगई है देखोदशों दिशा कोलोक भागे हैं औरकुम्भकर्ण ने महायुद्धकर हनुमान को पकड़ा है For Private and Personal Use Only
SR No.020522
Book TitlePadmapuran Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Granth Pracharak Pustakalay
PublisherDigambar Jain Granth Pracharak Pustakalay
Publication Year
Total Pages1087
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy