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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobetirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 13000 कोई न रहा जो इन्द्रजीत के बाणों से घायल न भया लोक आनते भए कि यह इन्द्रजीत कुमा' नहीं अग्निकुमारों का इन्द्र है अथवासूर्य है सुग्रीव और भामण्डल ये दोनों अपनी सेनाका इन्द्रजीत कर दबी देख युद्धको उद्यमी भए इनके योधा इन्द्रजीतके योधों से और ये दोनों इन्द्रजीतसे युद्ध करने लगे सो परस्पर योघा योधावोंको हंकार हंकार बुलावते भए शस्त्रों से प्राकाशमें अन्धकार होय गया योधावों के जीवनेकी आशा नहींगजसे गजरथसे रथ तुरंगसे तुरंग सामन्तोंसे सामन्त उत्साहकर युद्ध करते भए अपने अपने नाथ के अनुराग में योधा परस्पर अनेक प्रायुधों से प्रहार करतेभएं उस समय इन्द्रजीत सुग्रीवको समीप आया देख ऊंचे स्वरकर अपूर्व शस्त्ररूप दुखचनों से छेदताभया अरे वानरवंशी पापी स्वामि द्रोही रावणसे स्वामीको तज स्वामीके शत्रुका किंकरभया अब मुझसे कहां जायगा तेरे शिरको तीक्षण बाणों से तत्काल छेदंगा वे दोनोंभाई भूमिगोचरी तेरी रक्षाकरें तब सुग्रीव कहताभया ऐसे वृथा गर्वके वचन कर क्या तू मानशिखर पर चढ़ा है सो अवारही तेरा मान भंग करूंगा जब ऐसा कहा तब इन्द्रजोतने कोपकर धनष चाय वाण चलाया और सुग्रीवने इन्द्रजीतपर चलायादोनों महा योधा परस्पर बार्णोसे लड़तेभए अाकाशवाणोंसे छोदित होयगया मेघवाहनने भामण्डलको हंकारा सो दोनों भिडे और विराधित और वजनक्र युद्ध करतेभए सो विराधितने वजनक्रके उरस्थल में चक्रनामा शस्रकी दई और वज्रनकने विराधितके दई शूरवीर घाव पाय शत्रुके घाव न करें तो लज्जाहै चक्रोंसे वक्तर पीसेगए तिमके अग्निकी कणका उछली सोमानोंअाकाशसे उलकावोंके समूह पड़ें हैं लंकानाथके पुत्रने सुग्रीव अनेक शस्त्र चलाए लंकेश्वर के पुत्र संग्राममें अचल हैं जिस समान दूजा योधा नहीं तब सुग्रीवने वजूदंड से । For Private and Personal Use Only
SR No.020522
Book TitlePadmapuran Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Granth Pracharak Pustakalay
PublisherDigambar Jain Granth Pracharak Pustakalay
Publication Year
Total Pages1087
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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