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सिरिअसहनाहचरिए
मणो गवाहणो पहुणो पोसत्थो सासणजक्खो संजाओ । तह नामओ अपडिचक्का सुवण्णवण्णा गरुलाssसणा वरय बाण - चक्क - पासधरेहिं चऊहिं दाहिण
हिं चउहिं धणुह वज्ञ चक्कं कुसधरवामहत्थेहिं सोहिरी सामितित्थुष्पण्णा पहुस्स पासम्मि सासणदेवया होइ। तओ नक्खत्तेहिं चंदो इव महरिसीहिं परिवरि - ओ पहू वि अण्णत्थ विहरि बच्चे । गच्छंतस्स पहुस्स तरवो भत्तीए चिय नमिरा हुति, कंटगा अहोमुहा, पक्खिणो पयाहिणा, इंदियविसयाणुकूलो उऊ, पवणो वि अणुकूलो, भत्तणो सममि जहण्णओ देवाणं कोडी सैएव चिट्ठे, भवंतर भूकम्मविणासावलोयणभयाओ इव तिजगपहुणो केसा मेंसू नहा य न वड्ढते । सामी जत्थ विहरे तत्थ वर - मारि - ईइ अबुद्धि- दुब्भिक्खाऽइवुद्धि - सचक्क - परचक्कभयं न सिया इअ जगविम्हयगराऽइसयगणेहिं संजुत्तो भवभमणजगजंतूवयारिक्कबुद्धी नाहिनंदणो सहपहू पुढचं वाउव्व अपविद्ध arts |
इअ वय - बिहार - केवल - नाण-समोसरणरूवओ तइओ । उसो इह पुण्णो, जाओ सिरिउसहचरियस्स ॥१॥
इअ सिरितवागच्छाहिवइ - सिरिकयं बप्पमुहाणेगतित्थोद्धारग -- सासणापहावग — आबालबंभयारि-स्रीससेहरआयरियविजयने मिसूरी सरपट्टालंकार - समयण्णु-संतमुत्ति-वच्छल्लबारिहि - आइरिय विजयविन्नाणसूरीसर - पट्टधर - सिद्धंतमहोदहि-पाइअभासाविसारय-विजयकत्थूरसूरि - विरइए महापुरिसचरिए पढमवगम्मि सिरिउस पहुणो दिक्खा - छउमत्थविहार- केवलनाणसमोसरणवण्णणरूवो तइओ उद्देसो समत्तो ॥
१ पार्श्वस्थः - निकटस्थ: । २ ऋतुः । ३ सदैव । १ श्मश्रु ।
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