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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२०) श्री जैन जाति महोदय प्र. चोथा. विशाल था कि हाल ओशियोंसे ६ कोस तीवरी याम है वह उपकेशपुरका तेलिवाडा था ३ कोस खेतार-खत्रीपुरा ३ कोस पंडितजीकी ढाणी पंडित पुरा था १० कोस घटियाला इस नगरका दरवाजा था वहां खोदकाम करते समय कुच्छ पुराणे चिन्ह प्राजभी दृष्टिगत होते है। एक पडिहारों के राजका प्राचीन शिलालेख भी मिला हैं उस विशाल नगरमें ३६० जैन मन्दिर थे जैसे चंद्रावती-कुंभारीयादि प्राचीन स्थानोंमे सेंकडो मन्दिर थे वैसे उपकेशपुरमें भी सेंकडो मन्दिर होना कोइ अतिशय युक्ति नहीं कही जाति हैं । इस समय श्रोशियोंमें एक महावीर मन्दिरके सिवाय ८-१० मन्दिरोंके खंडहर मिल सक्ते है पूज्य मुनिश्री रत्नविजयजी महाराजने वहां शोध खोळ करनेपर एक तुटासा मन्दिरमे मस्तक रहित मूर्ति जिसके चन्द्रका चिन्ह था और एक तुटासा शिलालेख जिसमें वि. सं. ६०२ माघ शु. ३ उकेशवंस आदित्य नागगोत्र इत्यादि इन प्रमाणों से यह सिद्ध होता है कि वि० सं० ६०२ से सेकडो वर्ष पहिले उपकेशपुरमें सेकडो जैनमन्दिर थे हजारों लाखों उपकेशवंशीय (ओसवाल ) उन्ह मन्दिरों कि सेवा पूजा करनेवाले मोजुद थे इस वास्ते श्रोशियां के रंगमगडप बनानेका शिलालेख परसे श्रोसवालों की उत्पत्ति विक्रमकी दशमी शताध्दीमें बतानेवाले वडा भारी धोखा खा रहे है अर्थात् उन अज्ञ लोगोंकी वह कल्पना बिल्कुल मिथ्या है । - अाधुनिक तीनोंदलीलोंका निगकरणके पश्चात् हमको कुच्छ विश्वसनिय इतिहासिक प्रमाण एसे दे देना ठीक होगा कि जैनाचार्य जैनग्रन्थ जैनपट्टावलियों ओर वंसावलियोंमें लिखा हुवा उपकेश वंशो. For Private and Personal Use Only
SR No.020519
Book TitleOswal Gyati Samay Nirnay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarmuni
PublisherGyanprakash Mandal
Publication Year
Total Pages43
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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