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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १४ ) श्री जैन जाति महोदय प्र० चोथा. ओसवाल ज्ञाति के नाम से पुकारी जाति है उसका मूल नाम श्रोसवाल नहीं पर उएस- उकेश - उपकेशवंस था ईसका कारण पूर्व बतला दिया है कि उएस - उकेश और उपकेशपुर में इस वंस कि स्थापना हुई बाद देश विदेश में जाने से नगर के नाम पर से ज्ञाति का नाम प्रसिद्धि में प्राया-जैसे अन्य जातियों का नाम भी नगर के नाम पर से पडा वह ज्ञातियों आज भी नगर के नाम से पहिचानी जाति है जैसे-महेश्वर नगरी से महेसरी - खंडवा से खंडेलवाल - मेडता से मेडतनाल मंडोर से मंडावरा - कोरंट से कोरंटीया - पाली से पल्लिवाल -आग्रा से अगरवाल जालौर से जालौरी - नागोर से नागोरी - साचोर से साचोरा - चित्तोड से चितोडा - पाटण से पटणि इत्यादि ग्रामों पर से ज्ञातियों का नाम पड जाता है इसी माफिक उएस- उकेश उपकेशपुर से ज्ञाति का नाम भी उएस उकेश उपकेश ज्ञाति पडा है इससे यह सिद्ध होता है कि आज जिसको श्रोशीयों नगरी कहते हैं उसका मुल नाम प्रोशियों नहीं पर उपसपुर था. और आज जिसको सवाल कहते है उसका मूल नाम उएस उकेश श्रौर उकेशवंस ही था. जैसे उपकेशपुर से उपकेशवंस का घनीष्ट संबन्ध है वैसे ही उपकेशवंस व उपकेशपुर के साथ उपकेश गच्छ का भी संबन्ध है कारण आचार्य रत्नप्रभरि उपकेशपुर में राजपुतादि को प्रतिबोध दे महाजन वंस की स्थापना की उन संघ का नाम उपकेशवंश हुवा तब से प्राचार्य श्री का गच्छ उपकेश गच्छ के नाम से प्रसिद्धि में श्राया बाद में भी बहुत से गच्छ ग्रामों के नाम परसे उत्पन्न हुए थे जैसे नागपुरसे नागपुरिया गच्छ-नायासे नाणावाल गच्छ- कोरंट से कोरंट गच्छ-संख For Private and Personal Use Only
SR No.020519
Book TitleOswal Gyati Samay Nirnay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarmuni
PublisherGyanprakash Mandal
Publication Year
Total Pages43
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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