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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्त्री में वही जाति उत्पन्न होती है, जो उसके पिता की है। अत्रि मुनि के अनुसार ब्राह्मणी में ब्राह्मण से उत्पन्न ब्राह्मण कहलाता है। ब्राह्मण संस्कारों से द्विज होता है, विद्या से विप्र और तीनों वेदों के ज्ञान से श्रोत्रिय कहाता है। -, जन्मना ब्राह्मणों क्षेयं संस्कारैद्विज उच्यते। विद्ययायाति विप्रत्वं श्रेत्रिय स्त्रिभिरेव च। महाभाष्यकर के अनुसार तपस्या, शास्त्र और योनि- यह तीन ब्राह्मण के कारक हैं। तपः श्रुतं च योनिश्चेत्येत द्वा ब्राह्मणकारकम्। तप श्रुताम्यां यो हीनो जाति ब्राह्मण एव सः॥ 'मनुस्मृति' के अनुसार सातवीं ब्राह्मण कन्या शूद्र को उत्पन्न करती है। इस प्रकार सातवीं पीढी में शूद्र ब्राह्मण और ब्राह्मण शूद्र हो जाता है। इस जाति व्यवस्था का आधार कर्म न होकर जन्म था। विश्वामित्र और कण्व को पुराणों में क्षत्रिय कहा है। आश्वलयन श्रौत्र सूत्र के अनुसार विश्वामित्र, जमदाग्नि, भारद्वाज, गौतम, अत्रि, वशिष्ट, काश्यप और अगस्त्य- ये सब ब्राह्मणों के पूर्वपुरुष है। इन आठों में चार को ब्राह्मण गौत्रों का मूल माना जाता है। 'महाभारत' में कहा गया है कि अंगिरस, काश्यप, वशिष्ट और भृगु, वैदिक आर्यों के प्राचीनतम पुरोहितों की संतान चलते हैं। अथर्ववेद में ब्राह्मण को पृथ्वी का देवता कहा गया है। जाति व्यवस्था ने हमारे धार्मिक जीवन को गहराई से प्रभावित किया है। धर्म और जाति एक दूसरे से अविभाज्य रूप से जुड़े हैं। यह जाति व्यवस्था देहान्तर और जन्मजन्मान्तरवाद पर आधारित है। देहान्तरवाद हिन्दूवाद का मूलाधार है। जाति समाज की एक अनिवार्य संस्था है। जाति व्यवस्था में ब्राह्मणों की प्रभुता सर्वत्र स्वीकार की गई है। ब्राह्मणों की श्रेष्ठता सब स्थानों पर प्रतिपादित है। शायद ही कहीं इनकी श्रेष्ठता पर विवाद उठा हो।' 1. जाति भास्कर, पृ. 27 2. पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री, जैन धर्म का इतिहास, पृ. 46 3. Castes in India, Page XVII Caste is no more than a fragment of the work, which has reshaped the whole fabric of religious Life. 4. वही, पृ. XVII The doctrmie of metempsyosis is the corner stone of Hinduism 5. वही, पृ. 13 It is an institution and an essential one. वही, Page 18 The pivot of this hierarchy is the recognised superiority of Brahminic caste and its numerous branches. 7. वही पृ. 19 Brahmins hold a dominant pisition every where, It is rarely that their superiority has been disputed. For Private and Personal Use Only
SR No.020517
Book TitleOsvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirmal Lodha
PublisherLodha Bandhu Prakashan
Publication Year2000
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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