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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विषय प्रवेश 'जैनमत और ओसवंश' ग्रंथ को प्रस्तुत करते हुए मुझे अत्यधिक सुख की अनुभूति हो रही है। मेरे अग्रज लोढ़ा कुलभूषण श्री चंचलमल जी ने लगभग एक दशक पूर्व मेरे मन में 'ओसवंश का इतिहास' लिखने की प्रेरणा जागृत की। सेवानिवृत्ति के अनन्तर 'नैतिक शिक्षा: विविध आयाम के प्रकाशन के पश्चात मेरे अग्रज ने मुझे यह दायित्व सोंपा कि मैं 'ओसवंश: उद्भव और विकास को दो खण्डों में प्रस्तुत कर ओसवंश के इतिहास को एक नयी दृष्टि प्रदान करूँ। लगभग 7 दशक पहले श्री सुखसम्पतराज जी भण्डारी का 'ओसवाल जाति का इतिहास प्रकाशित हुआ था। यह ओसवाल जाति के इतिहास लेखन का पहली बार व्यवस्थित और आधुनिक दृष्टिकोण से प्रयत्न था। इसके पहले फुटकर प्रयत्न हुए थे। उस समय भण्डारी जी के नेतृत्व में चार दलों ने डेढ़ लाख मीलों की लम्बी यात्रा की। भण्डारी जी ने अथक परिश्रम करके ग्रंथ का निर्माण किया। यह ग्रंथ ओसवाल जाति के इतिहास का पहला मील का पत्थर था। लेखक के अनुसार इस जाति का इतिहास कितना महत्वपूर्ण और गौरवमय रहा है, यह बात इस इतिहास के पाठकों को भली भाँति रोशन हो जाएगी।' स्वयं लेखक ने स्वीकार किया कि इसमें शिलालेखों का अभाव है। अभी कमियों के बावजूद लेखक का दावा था कि अभी तक कोई भी जातीय इतिहास, भारतवर्ष में इसकी जोड़ का नहीं है।' __ श्रीमती मनमोहिनी के ‘ओसवाल: दर्शन: दिग्दर्शन' ने ओसवाल कौन क्या (Whose, Who) की भूमिका के रूप में ओसवंश के इतिहास को प्रस्तुत किया गया। ओसवाल कौन क्या की सामग्री जुटाई थी- श्री चंचलमल लोढ़ा ने। इसकी भूमिका में स्पष्ट कहा है ‘संस्कृति प्राण है तो जाति शरीर। बिना प्राण के शरीर नहीं रह सकता।' खण्ड खण्ड विचारों के प्रस्तुतीकरण के कारण इसकी भूमिका में प्रबन्धात्मक अन्विति का अभाव खटकता है। इस ग्रंथ ने स्पष्ट रूप से प्रतिपादित किया, ‘ओसवाल जाति का इतिहास जैनधर्म के इतिहास से बहुत अलग नहीं है। जैनधर्म यदि एक निर्बन्ध झरना है तो उस झरने का जल दो तटों की सीमा में बंधकर बहने पर ओसवाल जाति संज्ञक सरिता कहा जा सकता है।' ___'ओसवाल जाति के इतिहास' के लगभग आधी शताब्दी के पश्चात् श्री सोहनराज भंसाली ने 'ओसवाल वंश: अनुसंधान के आलोक में प्रकाशित हुआ। इसकी भूमिका में लेखक ने स्वीकार किया, 'जैन जातियों में कौनसी जाति कब For Private and Personal Use Only
SR No.020517
Book TitleOsvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirmal Lodha
PublisherLodha Bandhu Prakashan
Publication Year2000
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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