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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दो शब्द जाति का इतिहास जातीय जीवन की महत्वपूर्ण घटना होती है। भारतीय सांस्कृतिक जीवन में ओसवंश का आविर्भाव और फिर उसका विकास एक महत्वपूर्ण घटना है । ओसवंश एक गौरवपूर्ण जाति है और बचपन से ही मेरे मन में ललक रही कि ओसवंश के गौरवशिखरों की प्रशस्ति में मैं अपना योगदान प्रस्तुत करूं । दो दशक पहले इस देश के एक छोर से दूसरे छोर तक घूम घूम कर मैंने 'ओसवाल: दर्शन: दिग्दर्शन' के लिये अनेक जीवनवृत एकत्रित किये। मेरी अपनी सीमाएं थी और वह कार्य प्रकाशित होने पर भी आधा अधूरा ही रहा । पूना में रहते हुए एक लम्बे समय तक ओसवाल जाति की पत्रिका 'बंधु संदेश' का सम्पादन- प्रकाशन किया और उसमें ओसवाल जाति के इतिहास को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करने की चेष्टा की । मेरे अनुज डॉ. महावीरमल लोढ़ा लगभग चार दशकों से हिन्दी के अध्ययन-अध्यापन से जुड़े हुए हैं। उनकी सेवानिवृत्ति के पश्चात् मैंने उन्हें प्रेरणा दी कि जीवन के इस मोड़ पर जाति का इतिहास लिखकर धर्म और जाति से भी उन्हें जुड़ना चाहिये डॉ. महावीरमल ने "ओसवंश: उद्भव और विकास' का प्रथम खण्ड 'जैनमत और ओसवंश' प्रस्तुत कर श्लाघनीय कार्य किया है। यह प्रबन्ध ओसवंश के उद्भव के प्रश्न की दृष्टि से एक प्रामाणिक और अनुसंधानपरक दस्तावेज सिद्ध होगा, ऐसी मेरी मान्यता है यह 'ओसवंश: उद्भव और विकास' का पहला पड़ाव है, दूसरा पड़ाव द्वितीय खण्ड ओसवंश के गोत्रों पर प्रामाणिक सामग्री प्रस्तुत करेगा । लेखक ने गोत्र सम्बन्धी प्रायः सभी उपलब्ध शिलालेखों और धातु प्रतिमा लेखों को एकत्रित कर लिया है । विविध गोत्रों की प्रामाणिक सामग्री- गुटकों, वंशावलियों आदि को एकत्रित करने का मैंने बीड़ा उठाया है। ओसवंश के विकास को सही परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करने के लिये ओसवंश के विशिष्ठ पुरुषों / नारियों के जीवनवृत और उपलब्धियों की अपेक्षा रहेगी और मुझे विश्वास है कि ओसवंश के सभी क्षेत्रों - व्यवसाय और वाणिज्य, राजनीति और समाज, कला और संस्कृति के विशिष्ठ पुरुषों / नारियों की उपलब्धियों का लेखा जोखा हमें प्राप्त होगा । For Private and Personal Use Only प्रामाणिक सामग्री की उपलब्धि एक दुस्तर कार्य है, किन्तु ओसवंशियों के सहयोग से हमें अवश्य सफलता मिलेगी । - c.m. .mage चंचल मल लोढ़ा
SR No.020517
Book TitleOsvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirmal Lodha
PublisherLodha Bandhu Prakashan
Publication Year2000
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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