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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 222 खत्री साख अठार तिके ओसवाल कहवाणां गयो राज धरती गई पृथ्वी पलटी परमारां साची आई सचीयाय रायमन सोचे विचारां एक लाख चौरासी सहस घर राज सुली प्रतीबोधिया श्री रत्न प्रभ सूर भनमाल में ओसवाल थिरथपीया।।19।। श्रावण पख सितात संवत ऐके उगणीसे अर्क वार आठम ओस वंस हुवा उपदे से प्रतिबोध्या परमार उपल जिण धरम में आयो प्रथम गोत्र सो पांच बावन जिने सर बँधायो मण त्रण जनोई ब्राह्मणां असंग मिली ने उतारीया भोजन जिमाय ने भोजगां धर करकथ आरम्भकीया प्रथम गोत्र सो पांच प्रथम साखां परमारां साख सीसोदिया सांखला रिणथंभनेरा बोद ।।20।। बसी चहुआण वडाला सोलंकी ने सांखला बुरबकीयार बोरांणा दईया भाटी सोढ़ मोहल गोहल मकहवाणा कछवाहा ने गोद खरपद कथा लेता पटा जलाखरा एक दिन इतरा महाजन हुआ सूरा पूरा खत्री सुधसाखरा ।।21॥ वरधमान जिन थकी बरस बावन पद लिधो श्री श्री रतन प्रभ सूर नाम श्री सद्गुरुजी दीधो ताहु अठ दस बरस नगर ओसीया आया प्रतिवोध्या मात चामुंड नाम साचल दे पाया त्रण लाख चौरासी सहस घर राजपुत्र प्रतिबोधिया श्री रत्न प्रभ सूर ओसीया नगर ओसवाल तिहाँथापिया॥22।। प्रथम गोत्र तातेड़ प्रगट, बुबकीया बापणा बहादुर कहे तीजा करणाट बलही ते रीया खांप सुहखर कुलहट भीरहट सिखा श्री श्री माल बखाणा सासह सचेता सबघर प्रत्यरु सचियाय पुरांणी आदितयनाग गोत्र भर भाई वलचचेटी कुंभट ने कनोजीया डीडू लघु श्रेष्ठ ओसीया नगर ओसवाल तिहाँ थापीया ।।23।। 8. गुर्रा सा. गणपतराय जी का गुटका पूज्य महाराज श्री दर्शनाविजय जी महाराज को नारायणगढ़ के श्री गणपतराय जी से एक गुटका मिला, जो 'ओसवाल अखबार' में प्रकाशित हो चुका है। इसके अनुसार उपलदेव For Private and Personal Use Only
SR No.020517
Book TitleOsvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirmal Lodha
PublisherLodha Bandhu Prakashan
Publication Year2000
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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