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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 185 तृतीय अध्याय ओसवंश : उद्भव ओसवालों का प्राचीन नाम उपकेश वंश है। उपकेश वंश के उऐश, उकेश, उकेशी, उकेशीय, उकोसिय और उपकेश आदि नाम मिलते हैं।' ओसवाली भूमि पर जो नगर आबाद हुआ, उसे ऊस-ओस-उऐश कहा गया। उऐश का रूपान्तर प्राकृत में उकेस कर दिया गया है। उकेश और उऐस ही संस्कृत में उपकेश हुआ है। ‘उपकेशगच्छ पट्टावली' में उपकेशपुर के लिये उएशपुरे समायती, उपकेशगच्छ चरित्र में 'उपकेशपुरे वास्तव्य' और 'नाभिनन्दन जिनोद्धार' में भी मत्युपकेशपुरे' कहागया है। चण्डालियागोत्र के शिलालेखव 1285 में उएशवंश चण्डालिया गोत्र', पूर्णचन्दजी शिलालेख व 480 में 'उकेशवंश जांघड़ा गोत्र' और संख्या 1256 में उपकेशवंश श्रेष्ठिगोत्रे कहा गया । बुद्धिसागर सूरि के लेखांक 558 में 'उएशगच्छे श्री सिद्धि सूरिभि', क्रमांक 1044 में 'उपकेश गच्छे कक्कसूरि सन्तानें" और क्रमांक 195 में 'उपकेश गच्छे कुकुन्दाचार्य' सन्तानें कहा गया है। उपकेशवंश: व्युत्पत्ति खरतरगच्छीय वल्लभगणि ने वि.सं. 1655 में 'उपकेशवंश' शब्द की व्युत्पत्ति पर गहराई से प्रकाश डाला है। 1. मूल शब्द ओकेशा' माना जा सकता है। इसमें इशिक धातु ऐश्वर्यवाची है और ओक का अर्थ घर है। ओकेशा सत्यका नाम से प्रसिद्ध है। इसका अर्थ है ऐश्वर्यमान लोगों का घर। 2. ईशन याने ईश- ऐश्वर्य तथा ओके- अर्थात् महाधनिक श्रावक आदि मनुष्यों के घरों से युक्त है, ऐश्वर्य जिसमें ऐसी ओकेशा “ओसिका' नामक नगरी और उस नगरी में पैदा हुए गच्छ का नाम ओकेश। 3. ओइक' का अभिप्राय है- अ:- कृष्ण, उ:= शंकर, कः= ब्रह्मा। अब ये तीनों देव जिन मनुष्यों द्वारा ईश्ते यानि देवस्वरूप से पूज्यमान होते हुए ऐश्वर्य को प्राप्त हों, उन मनुष्यों को ओकेश कहते हैं। 1. भगवान पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास, प्रथम जिल्द, पृ 129 2. वही, पृ 129 3. वही, पृ131 इशिक ऐश्वर्ये ओकेषु गृहेषु इष्टे पूज्य माना सती या सा ओकेश, सत्यका नाम्नी गोत्र देवता। 4. वही, पृ131 ईशनमीश: ऐश्वर्य ओकैर्म हृद्धिक श्राद्ध प्रमुख लोकानागृ हैरी शो यस्यासा ओकेशा ओसिका नगरी। तत्र भव: ओकेशः । 5. वही, पृ 132 अ: कृष्णा, इ: शंकर, को, ब्रह्मा। एषां द्वन्द्वसमासे ओकास्ते ईशते पूज्य माना: संतो देवत्वेन मन्यमाना संतश्च येभ्यस्ते ओकेशाः। For Private and Personal Use Only
SR No.020517
Book TitleOsvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirmal Lodha
PublisherLodha Bandhu Prakashan
Publication Year2000
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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