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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 147 श्री हस्तीमल जी महाराज- सहमंत्री 2. दीक्षा श्री सहस्रमलजी महाराज 3. सेवा श्री शुक्लचंदजी महाराज श्री किशनलाल जी महाराज 4. चातुर्मास श्री प्यारचंद जी महाराज- सहमंत्री श्री पन्नालाल जी महाराज 5. विहार श्री मोतीलालजी महाराज श्री मरुधरकेशरी मिश्रीमलजी महाराज 6. आक्षेप निवारक श्री पृथ्वीचंद जी महाराज श्री पुष्करमुनि जी महाराज 7. प्रचारक श्री प्रेमचंदजी महाराज श्री फूलचंद जी महाराज इस सम्मेलन में फूट और विद्वेष के स्थान पर प्रेम और एकता स्थापित हो गई। और इस तरह वर्धमान स्थानकवासी जैन समाज अस्तित्व में आया। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन कांफ्रेंस का प्रथम अधिवेशन सादड़ी में और दूसरा 17 फरवरी 1953 को सोजत में हुआ। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री आनन्दऋषिजी महाराज, उपाचार्य गणेशीलाल जी महाराज, कविवर अमर मुनि जी महाराज, सहमंत्री हस्तीमलजी महाराज, शांतिरक्षक मदनलाल जी महराज- इस पांच संतों के एकत्रित चातुर्मास का निर्णय हुआ और जोधपुर संघ की विनती मान ली गई। परमपूज्यपाद श्री अमोलक ऋषि जी महाराज ने 32 आगमों को हिन्दी भाषा में अनूदित करके, महावीर की वाणी को सर्वजनहिताय बताया। शतावधानी रत्नचंद जी महाराज का साहित्य और 'अर्धमागधी कोश' साहित्य क्षेत्र की अमूल्य निधि है। आचार्य हस्तीमलजी महाराज ने जैनधर्म का मौलिक इतिहास- चार खण्ड में लिखकर जैनमत के इतिहास में एक युगान्तर उपस्थित किया। श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी समाज का अजमेर साधु सम्मेलन भी वलभी वाचना के बाद की महत्वपूर्ण घटना है। इसमें निम्नांकित सम्प्रदाय के साधु, साध्वियां सम्मिलित हुए। इस प्रकार अधिवेशन लगातार होते रहे- राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर। अंतिम क्षेत्रीय साधु सम्मेलन नासिक में 16-17 जनवरी 99 को आचार्य प्रवर देवेन्द्र मुनि जी की अध्यक्षता में हुआ। इसमें युवाचार्य डॉ. शिवमुनि, उपाध्याय श्री विशाल मुनि, महामंत्री श्री सौभाग्य मुनि, श्री 1. मुनि सुशील कुमार, जैन धर्म का इतिहास, पृ 533 2. वही, पृ 535 For Private and Personal Use Only
SR No.020517
Book TitleOsvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirmal Lodha
PublisherLodha Bandhu Prakashan
Publication Year2000
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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