SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 76
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तइओ वग्गो ५९ ज्जिहिइ ?” “गोयमा, महाविदेहे वासे [ जाव ] अन्तं काहिहि ॥ __ निक्खेवओ ॥ ३ । ४ ॥ उक्खेवओ ॥ ३ ॥ ५ ॥ एवं खल, जम्बू । तेणं कालेणं तेणं समयेणं रायगिहे नामं 5 नयरे । गुणसिलए चेइए । सेणिए राया। सामी समोसरिए । परिसा निग्गया ॥ तेणं कालेणं तेणं समयेणं पुण्णभद्दे देवे सोहम्मे कप्पे पुण्णभद्दे विमाणे सभाए सुहम्माए पुण्णभदंसि सीहासणंसि चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं, जहा सूरियाभो, जाव] 10 बत्तोसइविहं नट्टविहिं उबदसित्ता जामेव दिसि पाउभूए तामेव दिसिं पडिगए । कुडागारसाला । पुव्वभवपुच्छा। " एवं खलु गोयमा " ॥ तेणं कालेणं तेणं समयेणं इहेव जम्बुद्दीवे दीवे भारहे वासे मणिवइया नामं नयरी होत्था रिद्ध । चन्दो। ताराइणे चे- 15 इए । तत्थ णं भणिवइयाए नयरीए पुण्णभद्दे नाम गाहावई परिवसइ अड़े । तेणं कालेणं तेण समयेणं थेरा भगवन्तो जाइसंपन्नो [जाव जीवियासमरणभयविभुक्का बहुस्सुया बहुपरियारा पुवाणुपुचि [जाव] समोसढा । परिसा निग्गया। 20 तए णं से पुण्णभद्दे गाहावई इमीसे कहाए लखट्टे हद [जाव] जहा पण्णत्तीए गङ्गदत्ते, तहेव निग्गच्छइ, [जाव निक्खन्तो [जाव] गुत्तबम्भयारी ॥ तए णं से पुण्णभद्दे अणगारे भगवन्ताणं अन्तिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अङ्गाइं अहिज्जइ । २ बहू हिं 25 च उत्थछट्टम [जाव] भावित्ता बहुई वासाइं सामण्णपरियागं पाउणइ । २ मासियाए संलेहणाए सर्टि भत्ताई अणसणाए छेइत्ता आलोइयपडिकन्ते समाहिपत्ते कालमासे For Private and Personal Use Only
SR No.020505
Book TitleNirayavaliyao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA S Gopani, V J Chokshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1934
Total Pages406
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy