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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५८ निरयावलियासु पडिगया । तए णं या सोमा माहणो समणोवासिया जाया अभिगय [नार ] अप्पाणं भावेमाणी विहरइ । तए णं ताओ सुव्वयाओ अज्जाओ अन्नया कयाइ विभे लाओ संनिवेसाओ पडिनिक्खमन्ति, २ बहिया जणवय5 विहारं विहरन्ति ॥ तए णं ताओ सुव्वयाओ अज्जाओ अन्नया कयाइ पुव्वाणुपुवि...जीव विहरन्ति । तए णं सा लोमा माहणी इमीसे कहाए लद्धट्ठा समाणी हट्ठा ण्हाया तहेव निग्गया, जाव वन्दइ, नमसइ । २ धम्मं सोच्चा [जाव] नवरं 10 "रडकुडं आपुच्छामि, तए णं पब्धयामि । “ अहासुहं...।" तए णं सा सोमा माहणी सुव्वयं अजा वन्दइ नमसइ, २ सुव्वयाण अन्तियाओ पडिनिक्खमइ । २ जेणेव सए गिहे जेणेव रट्टकुडे, तेणेव उवागच्छइ । २ करयल तहेव आपुच्छह [ जाव ] पव्वइत्तए । “अहा. 15 सुह, देवाणुप्पिए, मा पडिबन्धं..." । तए णं रट्टकुठे विउलं असणं, तहेव जाव पुव्वभवे सुभद्दा, (जाव] अज्जा जाया इरियासमिया [जाव] गुत्तबम्भयारिणी ॥ तए णं सा सोमा अज्जा सुव्वयाणं अज्जाणं अन्तिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अङ्गाई अहिज्जइ । २ बहुइं छ20 महमदसमदुवालस जाव भावेमाणी बहुहिं वासाइं सामण्ण परियागं पाउणइ । २ मासियाए संलेहणाए सहि भताई अणसणाए छेइत्ता आलोइयपडिकन्ता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा सकस्स देविन्दस्स देवरन्नो सामाणियदेव ताए उववज्जिहिइ । तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं दो सो25 गरोवमाई ठिई पन्नत्ता । तत्थ णं सोमस्स वि देवस्स दो सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता॥ “से ण, भन्ते, सोमे देवे तओ देक्लोगाओ आउक्खएणं जाव चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिइ, कहिं उवव For Private and Personal Use Only
SR No.020505
Book TitleNirayavaliyao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA S Gopani, V J Chokshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1934
Total Pages406
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size17 MB
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