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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निरयावलियासु भत्ताई अणसणाए छेइत्ता आलोइयपडिकन्ते उड़े चन्दिमसोहम्मे कप्पे देवत्ताए उववन्ने । दो सागराइं ॥ __ “से णं, भन्ते, पउमे देवे ताओ देवलोगाओ आउक्ख5 एणं" । पुच्छा । “गोयमा, महाविदेहे वासे, जद्दा दढपइन्नो, [जाव] अन्तं काहिइ” । “ तं एवं खलु, जम्बू , समणेणं [जाव] संपत्तेणं कप्पडिसियाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते त्ति बेमि ॥ पढमं अज्झयणं ॥ २ ॥ १ ॥ " जइ णं, भन्ते, समणेणं भगवया [ जाव ] संपत्तेणं 10 कप्पवडिसियाणं पढमस्ल अज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते, दोच्चस्स णं, भन्ते, अज्झयणस्स के अढे पनते ?” “एवं खलु, जम्बू ॥ तेणं कालेणं तेणं समयेणं चम्पा नाम नयरी होत्था पुण्णभद्दे । चेइए। णिए रोया। पउवावई देवी। तत्थ ण चम्पाए 15 नयरीए सेणियस्स रन्नो भज्जा कुणियस्स रन्नो चुल्लमाउया सुकाली नामं देवी होत्थो। तीसे णं सुकालीए पुत्ते सुकाले नाम कुमारे। तस्स णं सुकालस्ल कुमारस्स महापउमा नाम देवो होत्था सुर्डमाला ॥ तए णं सा महापउमा देवो अन्नया कयाइ तसि 20 तारिसगंसि, एवं तहेव, महापउमे नाम दारए, [ जाव] सिज्झिहिइ । नवरं ईसाणे कप्पे उववाओ । उकोसट्ठिईओ । निक्खेवो ॥ बीयं अज्झयणं ॥ २॥ २ ॥ एवं सेसा वि अह नेयम्या । मायाओ सरिस नामाभो । 25 कालाईणं दसहं पुत्ता अगुपुवीर For Private and Personal Use Only
SR No.020505
Book TitleNirayavaliyao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA S Gopani, V J Chokshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1934
Total Pages406
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size17 MB
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