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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३०३ दक्षसूरीश्वरजी म. एवं पन्यासजी श्री प्रभाकरविजयजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में स्व. श्री हुलासीबाई हिराचन्दजी की अभिलाषा पूर्ण करने के लिये पानीबाई गणेशमलजी रातडीया महेता परिवार सांडेराव (राज.) वालो की तरफ से धामधूम से हुई थी। ___ यहाँ मूलनायक श्री महावीर स्वामी और आजू बाजू में श्री आदीश्वर भगवान एवं श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु की आरस की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-२, इसके अलावा मातंग यक्ष, सिद्धायिका देवी, श्री नाकोड़ा भैरुजी, श्री मणिभद्रवीर तथा पावापुरी शोकेस सुशोभित हैं। मन्दिरजी के बाजू के कमरे में उपाश्रय की व्यवस्था हैं। नेरल (४६५) श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर महावीर चौक, पोष्ट नेरलगाँव, स्टेशन : नेरल जंक्शन (पूर्व) जि. रायगड, महाराष्ट्र टे.फो. ०२१४८-२८६३६ - गणेशमलजी, ०२१४८-२८७१७ - सरेमलजी विशेष :- श्री जैन श्वेताम्बर संघ - नेरल (रायगड) द्वारा नवनिर्मित श्री मुनिसुव्रत स्वामी जिन मन्दिर की प्रतिष्ठा श्रीमद् राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. विजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म. के आज्ञानुवर्ति पूज्य मुनिराज श्री लक्ष्मणविजयजी के शिष्यो की पावन निश्रा में वि.सं. २०४६ का वैशाख सुदि १२, बुधवार, ता. १७-५-८९ को सम्पन्न हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी तथा आजू बाजू में श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ तथा श्री गोडी पार्श्वनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की-२, सिद्धचक्रजी-१, अष्टमंगल-१ तथा पार्श्व यक्ष, पद्मावती, वरुणदेव, श्री नरदत्तादेवी तथा श्री मणिभद्र वीर एवं श्री नाकोड़ा भैरुजी की प्रतिमाजी बिराजमान हैं । यहाँ उपाश्रय एवं श्री मुनिसुव्रत स्वामी जैन पाठशाला की व्यवस्था हैं। यहाँ श्री मुनिसुव्रत स्वामी सेवा मण्डल, श्री नाकोड़ा भैरव सेवा मण्डल, भारतीय जैन संघटना, महिला सामायिक मण्डल, शाकाहार सदाचार परिषद्, जैन झुणका-भाकर केन्द्र की व्यवस्था हैं। यहाँ सर्व प्रथम पन्यास प्रवर श्रीमद् कुलचन्द्रविजयजी म. के शिष्यरत्न मुनिराज श्री प्रशान्तविजयजी म. का चातुर्मास वि.सं. २०५२ में हुआ था। विशेष :- यहाँ पधारने वाले भाईयो के लिये, माथेरान हील स्टेशन के तलेटी में यह गाँव बसा हुआ हैं। माथेरान पधारनेवाले यहाँ के जिनालय के दर्शन के लिये अवश्य पधारे। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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