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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २९६ मुंबई के जैन मन्दिर श्री विजय विचक्षणसूरीश्वरजी म. और मुरबाड रत्न मुनिराज श्री भुवनरत्नविजयजी म. आदि ठाणा की शुभ निश्रा में मुंबई निवासी धर्मप्रेमी श्रेष्ठिरत्न श्री जवाहरलाल मोतीचन्द शाह के कर कमलो द्वारा वि.सं. २०४८ का माह सुदि १३, रविवार, ता. १६-२-९२ को हुई थी। (४५३) श्री मुनिसुव्रतस्वामी भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय लब्धि नगर, महावीर शोपींग सेन्टर, आगरा रोड, शिवाजी चौक, कल्याण (पश्चिम), जि. थाणा, महाराष्ट्र. टे.फो. ९११-३१८३२४, ३१९७८१, ३१५४९२-३१७६८० - पुखराजजी विशेष :- श्री राजस्थान श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ - कल्याण द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस भव्य शिखरबंदी जिनालय बनवाने की शुभ प्रेरणा परम पूज्य आ. श्री विजय कीर्तिचंद्रसूरीश्वरजी म. साहेबने की थी। मन्दिरजी का निर्माण होने पर आचार्य श्री विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. के समुदाय के पूज्य मुनिराज श्री पुण्योदयविजयजी म. की पावन निश्रा में प्रतिमाजी का प्रवेश ता. २१-२-९४ को हुआ, इस समय मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी तथा आजू बाजू में श्री पार्श्वनाथ व वासुपूज्य स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी मेहमान रुप में बिराजमान की गई थी। जिनालय की प्रतिष्ठा परम पूज्य आ. श्री आत्म-वल्लभ-समुद्र समुदाय के आ. श्री विजय इन्द्रदिन्नसूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. श्री विजय रत्नाकरसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि.सं. २०५४ का माह सुदि १०, शुक्रवार, तारीख ६-२-९८ को भव्य अंजन शलाका के साथ हुई थी। प्रतिष्ठा होने के बाद मूल गंभारे में ३ प्रतिमाजी के साथ कुल ९ प्रतिमाजी आरस की और एक बड़ी प्रतिमाजी पंचधातु की स्थापित की गई। साथ आरस की ३ मंगलमूर्ति की भी स्थापना की गई थी। इस वक्त जिनालय में पाषाण के १२ प्रतिमाजी, पंचधातु की एक बड़ी प्रतिमाजी, ५ छोटी प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी/२, अष्टमंगल-१ के अलावा यक्ष-यक्षिणी, प्रासाददेवी तथा नाकोड़ा भैरव व श्री मणिभद्रवीर की प्रतिमाजी भी बिराजमान हैं। (४५४) श्री नमिनाथ भगवान भव्य शिखरबंदी जिनालय महावीर प्रभु चौक, बजार पेठ, कल्याण (प.) जि. थाणा, महाराष्ट्र टे.फो. ऑ. ९११-३१९२६९, ९११-३११४३१ - लादमलजी For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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