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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २३० मुंबई के जैन मन्दिर विशेष :- यह मन्दिर, केवल मुंबई महानगर का ही नही, किन्तु सारे महाराष्ट्र का एक मात्र भव्य, अलौकिक और विशाल तीन शिखर और चार मंजीलवाला महा जिनप्रासाद है । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कला कोणी युक्त तीन महाशिखर, सामरण, घुम्मट, तीनो तरफ तीन तीन बडी चौकीया, विशाल कोली मंडप, रंग मंडप, मेघनाद मंडप, भूमिगृह से परिमण्डित यह मन्दिर जमीन से कई फुटोकी ऊंचाई पर बंधा हुआ है । उत्तुंग मेघनाद मंडप और विशाल रंगमंडप का घेराव बहुत ही बडा है । इतने बडे विशाल चौडाईऊँचाई वाले भव्य महाप्रासाद का एक बार भी अगर हम दर्शन कर लेवे तो ऐसे अलौकिक जिनालय का दर्शन करने के लिये बार बार दिल तरसता रहेगा और बार बार दर्शन करके आनंद की सांस लेंगे। मुंबई महानगर के शणगार स्वरुप इस महाजिनालय की प्रेरणा और मार्गदर्शन देने वाले पूज्यपाद शासन शणगार आचार्य भगवंत श्री विजय मोहन प्रतापसूरीश्वरजी के पट्टालंकार मुंबई महानगर और उपनगरो के जैन संघो के अजोड उपकारी, प्रौढ पुण्य प्रभावशाली, समर्थ संघनायक, युगदिवाकर पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी महाराज साहेब थे । वि.सं. २००७ में पौष मास में भायखलामें ऐतिहासिक उपधान तप महा आराधना और उसके मालारोपण महोत्सव के साथ, आचार्य पद पर आरुढ होकर, माह मास में आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. सा. घाटकोपर - जीरावला पार्श्वनाथ उपाश्रय में पधारे और सूरिमंत्र के प्रथम प्रस्थानमंत्र की साधना आपने वहाँ की, और घाटकोपर तपगच्छ जैन जनताकी प्रबल विनंती से आपका २००७ का चातुर्मास घाटकोपर जीरावला पार्श्वनाथ जिनालय के उपाश्रय में हुआ, अन्त में उपधान तप की महा आराधना हुई, उस समय चातुर्मास में आपने घाटकोपर निवासी तपागच्छीय जैन जनता के अग्रणी श्री वाडीलाल चत्रभुज गांधी आदि को व्यवस्थित रुप से घाटकोपर श्री तपगच्छ जैन संघ की स्थापना करके भव्य जिनालय - उपाश्रयादि का निर्माण करने की प्रेरणा की, उस प्रेरणा के बलसे फल स्वरुप वि.सं. २००९ के श्रावण सुदि ५ के शुभ दिन श्री घाटकोपर जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तप. संघकी स्थापना हुई । श्री संघने नवरोजी क्रॉस लेन में, वर्तमान में आयंबिल खाता वाला भूमिखण्ड वि. सं. २०१२ में संपादन करके, वहाँ वि. सं. २०१४ को फागुण मास में पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय प्रतापसूरीश्वरजी म.सा. और पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य निश्रामें गृह जिनालय का निर्माण करके जिनालय में, पंजाब- मुलतान नगर से भायखला में आई हुई श्री जीरावला पार्श्वनाथ प्रभुजीकी प्राचीन प्रतिमा की चल प्रतिष्ठा का महोत्सव मनाया। उसी समय गृह जिनालय के बाजू में, उसी पू. आचार्य भगवंतो की निश्रामें नूतन भव्य जैन उपाश्रयका खननशिलारोपण विधि हुआ । सिर्फ देढ साल में वि.सं. २०१६ में श्री अजवालीबाई चत्रभुज गांधी - जैन उपाश्रय तैयार हो जानेपर उसका भव्य उद्घाटन समारोह पू. आ. भ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य निश्रा में हुआ था। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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