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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १७७ मन्दिरजी के सामने ही मन्दिरजी की ऑफिस व दो पुरानी धर्मशालाएँ हैं (१) महुवा निवासी सेठ वीरचन्द गाँधी सेनेटरीयम (२) सेठ चन्दुभाई वच्छराज सेनेटरीयम । सेठ रुपचन्द लल्लुभाई झव्हेरी नूतन धर्मशाला का उद्घाटन वि.सं. २०२६ का चैत्र वद ५ रविवार ता. २६-४-७६ को श्रीमती ललिताबेन लल्लुभाई झव्हेरी के कर कमलो से हुआ था। यहाँ उपाश्रय, पाठशाला आयंबिल शाला की व्यवस्था हैं। इस तीर्थ के वर्तमान संचालक श्री आगाशी जैन देरासर टेम्पल एण्ड चेरीटीज ट्रस्ट हैं। जैन भोजनशाला :- यहाँ यात्रालु भाईयों के लिये जैन भोजनशाला की अति सुन्दर व्यवस्था हैं। (२८७) श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान गृह मन्दिर पारेख वाडी, पोष्ट ऑफिस के सामने, आगाशी जैन मन्दिर रोड, आगाशी स्टे. विरार, जि. थाणा, (महाराष्ट्र) विशेष :- इस मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक सेठ श्री मणिलाल हरजीवन पारेख है। जब हम रीक्षा या बस द्वारा आगाशी चालपेठ की ओर जाएगे तो सर्व प्रथम यह गृह मन्दिर दर्शनीय हैं। ___ इस गृह मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य श्री विजय सुरेन्द्रसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य विजय राम सुरीश्वरजी म. (डेहलावाले) की पावन निश्रा में हुई थी। यहाँ मूलनायक पंचधातु के श्री वासुपूज्य स्वामी, पंचधातु के श्री मुनिसुव्रत स्वामी तथा आरस की एक शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु की प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-१, अष्टमंगल-१ शोभायमान हैं। (२८८) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान समवसरण महा मन्दिर आगाशी जैन मन्दिर रोड, आगाशी, स्टे. विरार, जि. थाणा (महाराष्ट्र) टष. ओ. - ९१२-५८ ७३ ४९ दिलीपभाई - ८४० ३१ ६७, मुकुंदभाई-८४० २१ २१ विशेष :- भारत के अप्रतिम महातीर्थ श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ समवसरण महामन्दिर के संस्थापक एवं संचालक श्री पार्श्वनाथ चेरीटेबल ट्रस्ट एवं श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन ट्रस्ट हैं। समवसरण महामन्दिर यह विशाल - ३ खण्डों में बना हुआ अति सुन्दर दिखाई रहा हैं। परम पूज्य शासन सम्राट आ.भ. श्री नेमि सूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. भगवंत विजय लावण्य सूरीश्वरजी म. के शिशु आ. श्री विजय दक्षसूरीश्वरजी म. व पन्यासजी श्री प्रभाकर विजयजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में प्रतिष्ठा वि.सं. २०४६ का वैशाख सुदि ६ ता. ३०-४-९० को हुई थी। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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