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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर १५३ - वनिता विहार अचलगच्छ जैन उपाश्रय शान्तिनगर सेक्टर नं. ३, बिल्डींग A-39-004 मीरा रोड (पूर्व), जि. थाणा-महाराष्ट्र टे. फोन : नेमचन्द देवराज गाला (ओ.) ८११ ४० ६५, (घर): ८११ २६ ४२ विशेष :- इस उपाश्रय के संस्थापक एवं संचालक श्री मीरारोड अचलगच्छ जैन संघ हैं। स्व. पुत्रवधू अ.सौ. वनिता नेमचन्द नागडा की पुण्यस्मृति में मीरा रोडवासी कच्छ डुमरा के मातुश्री पानबाई देवराज देवशी नागडा परिवार की तरफसे उदार अनुदान मिलने से संघ का कार्य शीघ्र फलीभूत हुआ था। परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. की निश्रा में वि. सं. २०५३ का वैशाख वद अमावस, गुरुवार, तारीख ५-६-९७ को उद्घाटन समारोह हुआ था। (२४९) श्री शीतलनाथ भगवान शिखरबंदी जिनालय शीतल नगर, मीरा रोड (पूर्व), जि. थाणा (महाराष्ट्र) टे. फोन : कांतिभाई ओ. ८११ २२१० घर : ६१० १०६७, ६१३ २२ ६७ रसिकभाई ओ. ३७३ ६६ ७९ घर : ८१० ४७ ९५ विशेष :- श्री शीतलनाथ मूर्तिपूजक अचलगच्छ जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस शिखरबंदी जिनालय की प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य भगवन्त विजय भुवनभानू सूरीश्वरजी म. के समुदाय के आचार्य भगवन्त विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५१ का माह सुदि ६ रविवार तारीख ५-२-१९९५ को हुई थी। मातुश्री नवलबेन खीमजी हंसराज हरिया के सुपुत्र श्री कांतिलालभाई, श्री जयेशभाई आदि परिवारने इस जिनालय एवं उपाश्रय का निर्माण करके अंजनशलाका एवं प्रतिष्ठा करवाकर सहयोग प्रदान किया हैं। नीचे उपाश्रय तथा उपर शिखरबंदी जिनालय में श्री शीतलनाथ तथा आजूबाजू में श्री वासुपूज्य स्वामी एवं मुनिसुव्रत स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी-४ तथा अष्टमंगल-१ सुशोभित हैं इसके अलावा श्री चक्रेश्वरीदेवी एवं श्री महाकालीदेवी की प्रतिमाजी भी बिराजमान हैं। (२५०) . श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान गृह मन्दिर हरीया ड्रीम पार्क , मीरा-भाईन्दर रोड, अशोक हॉटेल के बाजूमें, मीरा रोड (पूर्व) जि. थाणा (महाराष्ट्र) टे. फोन : नाथालालभाई ओ. ८९३ ४२ ८४, ८१० ३००३, ८११ ४४ २९ विशेष :- परम पूज्य शासन सम्राट नेमिसूरीश्वरजी म. समुदाय के परम पूज्य आ. श्री विजय For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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